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खरी-खरी अशोक वशिष्ठ

by zadmin

खरी-खरी

खादी के संग पुलिस का , चला आ रहा मेल।

दोनों मिलकर खेलते , एक अनोखा खेल ।।

एक अनोखा खेल , पुलिस नित करे उगाही।

शासन और प्रशासन , करते हैं मनचाही।।

लोकतंत्र में नित्य , तंत्र की है बर्बादी।

गलबहियाँ डाले , चलते खाकी और खादी।।


अशोक वशिष्ठ 

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