महाराष्ट्र
एक कोशियारी सब पर भारी
महाराष्ट्र में सत्ताधारी महाविकास आघाडी के नेताओं को राज्यपाल के रूप में अब एक खलनायक नज़र आ रहा है. इन सत्ताधारी नेताओं का जितना विपक्षी नेताओं से पंगा नहीं है, उससे कहीं ज्यादा राज्यपाल की वजह से इनके मंसूबे पूरे नहीं हो पा रहे हैं. शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत तो रोज सुबह मुंह धोने से पहले एक बयान राज्यपाल को लेकर दे देते हैं. अब बाकी नेता भी राज्यपाल पर अपनी भड़ास निकालने लगे हैं. महाविकास आघाडी सरकार के मंत्रियों के चश्मे से देखा जाए तो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से तगड़ा विपक्ष उन्हें ना देवेंद्र फडणवीस के व्यक्तित्व में दिखाई देता है, ना प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल में. कुल मिलाकर महाराष्ट्र के शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा नेताओं की नजरों में भगत सिंह कोश्यारी के रूप में एक राज्यपाल, सारे सत्ता पक्ष पर भारी है.
राज्यपाल से प्रताड़ित और पीड़ित लॉबी में एक और नया नाम जुड़ गया है. यह नया नाम है संजय जगताप का. संजय जगताप पुणे जिला कांग्रेस के अध्यक्ष और विधायक हैं. इन्होंने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की तुलना ‘मदर इंडिया’ जैसी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाने वाले कन्हैया लाल से कर दी है .अब सवाल यह है कि राज्यपाल का चेहरा महाराष्ट्र के सत्ता पक्ष के नेताओं को कन्हैयालाल जैसा क्यों दिखाई देता है? राज्यपाल ने ऐसा क्या किया है कि उनमें उन्हें नायक नहीं खलनायक दिखाई देता है? राज्यपाल ने सत्ताधारियों के लिए ऐसी कौन सी आफत ला दी है कि राज्यपाल का काम उन्हें जुल्मी बड़ा दुखदायी दिखाई देता है?
दरअसल पिछले दो महीनों से राज्यपाल द्वारा नियुक्त किए जाने वाले 12 विधायकों की सूची राज्यपाल ने रोक कर रखी है. राज्य की महाविकास आघाडी सरकार ने राज्यपाल द्वारा नियुक्त किए जाने वाले 12 विधायकों की लिस्ट राज्यपाल को सौंपी हुई है. लेकिन इस पर हस्ताक्षर करने वाले पेन का इंक सूखा हुआ है, राज्यपाल जब तक पेन में इंक नहीं भरवा पाएंगे, तब तक उस लिस्ट पर हस्ताक्षर नहीं होगा और उन विधायकों के नामों पर मंजूरी नहीं मिलेगी. बस यही सितम ढाए जा रहे हैं राज्यपाल. इसीलिए राज्यपाल उन्हें दिखाई दे रहे हैं ‘मदर इंडिया’ के खलनायक कन्हैयालाल.
बुधवार को विधानसभा में कांग्रेस नेता संजय जगताप बोल रहे थे और राज्यपाल का रिश्ता कन्हैयालाल से जोड़ रहे थे. मंगलवार को शिवसेना नेता संजय राऊत नेएक और बड़बोलेपन में राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा, ‘हमारे राज्यपाल करूणा के सागर हैं. जरा वे अपनी करूणा संविधान और विधि व्यवस्था पर बरसाएं. राज्यपाल द्वारा नियुक्त किए जाने वाले 12 सदस्यों के नाम जो वे अपनी जंघा के नीचे दबा कर बैठे हैं, उन्हें बाहर आने दें. ‘ फिर उन्होंने यह भी कहा कि जब राज्यपाल द्वारा नियुक्त ये सदस्य अपनी नियुक्ति पा सकेंगे तभी देश को यह विश्वास होगा कि राज्यपाल के मन में संविधान के प्रति श्रद्धा है. ऐसा उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा.वहीँ उपमुख्यमंत्री अजीत पवार का दर्द भी विधान सभा में बाहर आ गया और विदर्भ -मराठवाड़ा के लिए घोषित होनेवाली समिति तब तक गठित नहीं होगी जब तक राज्यपाल12 विधायकों की नियुक्ति पर संस्तुति नहीं दे देते हैं. दरअसल सत्ता कुर्सी के लिए बेचैन सत्ता पक्ष के लोग लोकतंत्र की सारी मर्यादा को भुला बैठे हैं। संवैधानिक पद पर बैठे लोगों से बात करने की तमीज भूल गए हैं.सत्ताधारी पक्ष के नेता रोज अन्य नए कर्मकांड में उलझ रहे हैं वहां उन्हें कन्हैयालाल नजर नहीं आता। बलात्कारी, भ्रष्टाचारी उन्हें भगवान् नजर आते हैं.उनका संरक्षण करना खलनायकी नहीं नालायकी है. धनञ्जय मुंडे, संजय राठौड़, सुमित गायकवाड़,जैसे यौन शोषकों में उन्हें क्या नायक नजर आ रहा है? तिपहिया सरकार के नेता सत्ता की मद में अंधे होकर अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। संवैधानिक पद के लोगों के लिए सड़क के गुंडों जैसी बातें कर रहे हैं. यह सही नहीं है. तिपहिया सरकार के घटकों को समझ लेना चाहिए कि अगर बाजी पलट गयी तो यही शब्द उलटे पड़ सकते हैं.