महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण विधेयक पारित
विशेष संवाददाता
मुंबई,@nirbhaypathik:महाराष्ट्र विधानमंडल में मराठा समाज में आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण देने की बात करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार 20 फरवरी को मराठा आरक्षण विधेयक विधानमंडल में पेश किया। दोनों सदनों में इसे सर्वसम्मति से पारित भी कर दिया गया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में यह विधेयक पेश करते हुए कहा कि मराठा समाज में भी किसी को भी धक्का न लगाते हुए मराठा समाज को आरक्षण देने का निर्णय लिया है। मराठा समाज में भी ऊख तोड़ने वाले,माथाड़ी, डब्बेवाले आदि जैसे आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हैं। यह न तो किसी पर अन्याय न किसी को धक्का लगने वाला है। देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे तब भी उन्होंने मराठा समाज के पिछड़े तबकों को निर्णय देने का निर्णय लिया था। वह आरक्षण हाई कोर्ट में मंजूर हुआ लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया। मुख्यमंत्री शिंदे जब सदन में मराठा आरक्षण के पक्ष में सदन में बोल रहे थे तो उनकी आवाज अपेक्षाकृत दबी लग रही थी जिस पर विपक्ष ने कहा आवाज बढ़ाओ,आवाज बराबर नहीं है। कदाचित मुख्यमंत्री शिंदे को भी यह आशंका हो सकती है कि यह आरक्षण सर्वोच्च अदालत में टिकेगा नहीं। शायद यही वजह है कि उन्होंने सदन में कहा भी कि सुप्रीम कोर्ट में यह आरक्षण टिकेगा कि नहीं इसमें शंका लाने की जरूरत नहीं है। सकारात्मक सोचें। मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा ओबीसी समाज के आरक्षण को धक्का न लगाते हुए कानून के दायरे में मराठा समाज को आरक्षण मिलना चाहिए यह सरकार की भावना है। मराठा समाज को आरक्षण देने का काम हमने किया। उन्होंने विभिन्न राज्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि 22 राज्यों में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण हैं।विधान परिषद में मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय प्रगति वाला मराठा समाज एक समय के अंतराल में पिछड़ गया इसलिए समाज को आरक्षण देने के लिए सरकार ने अगुवाई की। मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए 20 फरवरी को विधानमंडल का एक दिवसीय सत्र बुलाया गया था। सत्र शुरू होने के पहले ही उसी दिन ही मंत्रिमंडल की बैठक में मराठा समाज में आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े को 10 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया गया। उसके बाद विधानमंडल में इसे पारित करने के लिए पेश किया गया, जहाँ यह सर्व सम्मति से पारित हो गया। जब मराठा समाज को विधानसभा में आरक्षण देने के लिए विधेयक पेश किया गया तब उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, मंत्री गिरीश महाजन सहित मंत्रिमंडल के अधिकांशतः सदस्य सदन में थे। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर आसान पर मौजूद थे जबकि सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों को मौजूदगी अच्छी खासी थी। ओबीसी नेता छगन भुजबल ने भी इस मराठा आरक्षण का समर्थन किया । ज्ञातव्य है कि पचास फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता बहुत विशेष परिस्थितियों में ही राज्य 50 फीसदी से अधिक आरक्षण दे सकता है। महाराष्ट्र में मराठा समाज बहुत ही संपन्न माना जाता है। जिससे सर्वोच्च अदालत में इसके पुनः खारिज किये जाने की संभावना जताई जा रही है। एक जानकार कहते हैं कि सर्वोच्च अदालत को इस तरह आरक्षण के मामलों का दखल लेना चाहिए और जातिगत आधार पर दिया जाने वाला आरक्षण खत्म करना चाहिए। यदि आरक्षण देना ही है तो केवल आर्थिक आधार पर आरक्षण देना चाहिए।