जब 13 दिनों में पाकिस्तान ने भारत के आगे घुटने टेके-बना बांग्लादेश
नई दिल्ली @nirbhaypathik::अंग्रेजों ने जब भारत का बंटवारा किया तो पाकिस्तान के दो टुकड़े थे- पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान. समय के साथ पूर्वी पाकिस्तान के हालात बिगड़ने लगे. 24 साल तक यह हिस्सा पश्चिम पाकिस्तान के शोषण और अत्याचारों से त्रस्त होता रहा. पूर्वी पाकिस्तान ने अपने उत्तराधिकार की जंग लड़नी शुरू की और 26 मार्च, 1971 को अपनी मांग साफतौर सामने रख दी. पूर्वी पाकिस्तान की स्वतंत्रता की लड़ाई में मदद की भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने.उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान से निकले लोगों को शरण देने का फैसला लिया और ऐसे लाखों लोगों को पनाह दी जो अपना देश छोड़कर भारत आए. बौखलाए पाकिस्तान ने 3 दिसम्बर 1971 को भारत पर एयर स्ट्राइक करने की भूल कर दी.
3 दिसंबर 1971 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी कलकत्ता में एक जनसभा में बोल रही हैं. तभी शाम के 5 बजकर 40 मिनट पर पाकिस्तानी एयरफोर्स ने भारतीय वायुसेना की सीमा पार करते हुए श्रीनगर, पठानकोट, अमृतसर, जोधपुर और आगरा के मिलिट्री बेस हमले करने शुरू कर दिए. बम गिराने लगे. इसका जवाब देते हुए भारतीय सेना ने हमले शुरू किए.यही वो वक्त था जब भारतीय वायु सेना सीधे तौर पर पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गई. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आधी रात को ऑल इंडिया पर जंग की घोषणा कर दी.
4 दिसम्बर 1971 को भारत ने जंग का आगाज किया और इसे नाम दिया ऑपरेशन ट्राइडेंट. इसमें भारतीय पनडुब्बी ने भी अहम रोल निभाया. ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत भारतीय नौसेना ने कराची नौसैनिक अड्डे पर हमला बोला. इनके सभी इम्यूनिशन शिप और जहाज तबाह कर दिए. पाकिस्तान के ऑयल टैंक नेस्तनाबूत कर दिए. हमला इतना जोरदार था कि पाकिस्तान का कराची पोर्ट कई दिनों तक आग के लपटे से घिरा रहा. कई दिनों तक धधकता रहा. लपटें इतनी तेज थी कि उन्हें 60 किलोमीटर की दूरी से कोई भी देख सकता था.
भारत और पाकिस्तान की जंग के बीच मुक्ति वाहिनी के लड़ाके कूद पड़े. लड़ाकों ने भारतीय सेना के साथ मिलकर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने का फैसला लिया. भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान के बख्तरबंद बलों को करारा जवाब दिया. वहीं, लेफ्टिनेंट भवानी सिंह के नेतृत्व में पैरा कमांडो बटालियन की टीम ने पाकिस्तानी शहर पर हमला बोला.
भारतीय सेना को 14 दिसम्बर को यह जानकारी मिली ढाका के गवर्नमेंट हाउस में दोपहर को बैठक होने वाली है. यह पता चलते ही भारतीय सेना ने गवर्नमेंट हाउस पर बम बरसाकर उसकी छत उड़ा दी. छत उड़ाने का काम किया मिग-21 विमान ने. उस मीटिंग में पूर्वी पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल नियाजी भी थे, जो बाल-बाल बच गए. इंडियन एयरफोर्स के इस हमले ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया.
भारतीय सेना की रणनीति के आगे पाकिस्तान नतमस्तक हो गया. पूर्वी पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने 16 दिसम्बर 1971 को आत्मसमर्पण के कागजों पर दस्तखत किए. इसे ऐतिहासिक जंग कहा गया है. 16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान पर भारत की जीत के मौके को विजय दिवस के रूप में मनाया गया. इस तरह पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान अलग हुआ और बांग्लादेश का जन्म हुआ.