मुंबई की आकाश पर चमकेगा कंदील युद्ध
राजनीतिक दलों में कंदील लगाने की होड़ में भाजपा-मनसे आगे
शिंदे सेना की कंदील भी चमकाएगी मुंबई
पथिक संवाददाता
मुंबई,(@nirbhaypathik) : हालाँकि इन दिनों मुंबई मे वायु प्रदूषण के कारण मुंबईकर परेशान हैं. लेकिन मुंबई में दिवाली के मौके पर हर घर में तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस बीच विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी दिवाली के मौके पर सड़कों, गलियों, नाकों और चौराहों पर कंदील जलाने का सिलसिला शुरू कर दिया है. महाराष्ट्र में शिवसेना में विभाजन और उसके बाद की घटनाओं के मद्देनजर, भाजपा ने पिछले कुछ वर्षों से मुंबई के कई हिस्सों में शिवसेना के आकाश कंदील पर कब्जा कर लिया है. इस साल उद्धव खेमे की खास्ता राजनीतिक हालात के कारण कुछ जगहों पर शिंदे सेना की कंदील मुंबई के आकाश में जगमगा सकती है. इस कंदील युद्ध में
मनसे अपनी स्थिति मजबूती से बरकरार रखी है.
नतीजा यह है कि हर साल की तरह इस साल भी राजनीतिक आकाश कंदील का कारोबार खूब फलफूल रहा है और देखा जा रहा है कि राजनीतिक दलों के बीच लालटेन की धूम मचनी शुरू हो गई है. इतना ही नहीं, मुंबई में बनी आकाश कंदील नागपुर में भी दिखेंगी।
गणेश उत्सव, नवरात्रि उत्सव की तरह, राजनीतिक दल और नेता समूह त्योहारों के अवसर पर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करते ही है.इसमें अब आकाश कंदील भी जुड़ गया है.नेता गण व राजनीतिक पार्टियां कंदील चमकाकर प्रचार के अवसर का उपयोग करते हैं। पिछले कई वर्षों से राजनीतिक दलों के बीच बाजारों, सड़कों, नुक्कड़ों और चौराहों पर आकाश कंदील लगाने की होड़ मची हुई है।
बड़ी कंदील बनाना बहुत कठिन, कौशल और धैर्य का काम है। राजनीतिक लालटेन तैयार करने वालों में महादेव सालस्कर, सदानंद जाथल, सहदेव नेवालकर, सावंत बंधु आदि शामिल थे। जो राजनीतिक लालटेन बनाने लगे. इन मंडलियों द्वारा बनाई गई कंदील मुंबई में हर जगह देखी जा सकती थीं। उस समय सत्ता में सिर्फ शिवसेना के कंदील ही थे. हालाँकि, बाद के दौर में विभिन्न पार्टियों के कंदील भी आकाश में जगमगाने लगे.। इससे राजनीतिक लालटेन बनाने वालों की संख्या भी बढ़ी. शिवसेना में विभाजन और राज्य में राजनीतिक घटनाओं के बाद, भाजपा की कंदील वहीं दिखाई दी जहां पहले शिवसेना की हुआ करती थी। इस साल संभावना है कि शिंदे ग्रुप की भी कंदील कई जगहों पर दिखेगी. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने राजनीतिक कंदील के बाजार में अपना दबदबा कायम कर रखा है. हालाँकि, कांग्रेस और राकांपा ने कड़ा रुख अपना लिया है।
पिछले साल मनसे ने चौराहों और सड़कों पर करीब 100 लालटेनें लगवाई थीं. इसके अलावा मनसे द्वारा शिवाजी पार्क में आयोजित दीपोत्सव भी मनमोहक रहा. इस साल एमएनएस कंदील की मांग लगभग 30 से 40 तक बढ़ गई है. साथ ही भाजपा ने पिछले साल से ज्यादा कंदील लगाने का भी फैसला किया है. लेकिन वहीं, इस साल शिवसेना (ठाकरे समूह) की कंदील की मांग काफी कम हो गई है और पिछले साल शिवसेना ने शहर में करीब 80 लालटेनें लगवाई थीं. हालांकि, ऐसी संभावना है कि इस साल शिवसेना का कंदील कम रहेगा. कांग्रेस और राकांपा की ओर से भी कंदील की मांग काफी हद तक कम हो गई है.
एक बड़ी लालटेन बनाने में कम से कम दो दिन का समय लगता है। इसके पीछे कुल चार लोग की म्हणत होती है. पहले भाजपा की ओर से किसी कंदील की मांग नहीं की जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में सबसे ज्यादा लालटेन भाजपा के लिए बनाई जा रही हैं. परिणामस्वरूप, कंदील निर्माण से होने वाली आय में भी वृद्धि हुई है। पिछले साल नागपुर से भी भाजपा के लिए की मांग आई थी. इस साल भी नागपुर से लालटेन की मांग में अच्छी बढ़ोतरी हुई है.