Home विविधासाहित्य खरी-खरी:सुरेश मिश्र

खरी-खरी:सुरेश मिश्र

by zadmin

भइया लो फिर से हुए, पप्पू सखा बहाल
पाकर जैसे खजाना,नाच रहे कंगाल
नाच रहे कंगाल,दाल में है कुछ काला
आखिर चमचे इतने खुश क्यों दीखें लाला
कह सुरेश कविराय गजब है पप्पू दइया
एक सांसदी पर यूं नाचें ता ता थइया

सुरेश मिश्र

You may also like

Leave a Comment