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खरी-खरी :सुरेश मिश्र

by zadmin

बदरा बरसे झूमि के,हिय मोरा हुलसाय
मौसम मनभावन हुआ,गोरी दिल हरषाय
गोरी दिल हरषाय,विधुर तन आगि लगाए
मन मयूर मतराइ,पवन तन को सहराए
कह सुरेश मुसकाइ रहे सेजिया के चदरा
पानी में भी आगि लगाइ रहल बा बदरा

सुरेश मिश्र

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