Home मुंबई-अन्य कोटक महिंद्रा कैपिटल ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए इग्नाइट लाइफ साइंस फाउंडेशन से की साझेदारी

कोटक महिंद्रा कैपिटल ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए इग्नाइट लाइफ साइंस फाउंडेशन से की साझेदारी

by zadmin

अश्विनी कुमार मिश्र 

मुंबई@nirbhaypathik  : कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी लिमिटेड  ने  कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पहल के तहत रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) के क्षेत्र में अनुसंधान में सहयोग देने के उद्देश्य से इग्नाइट लाइफ साइंस फाउंडेशन (ILSF) के साथ  साझेदारी की घोषणा की।

इग्नाइट लाइफ साइंस फाउंडेशन  बेंगलुरु स्थित एक गैर-लाभकारी फाउंडेशन है, जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक खोजों के माध्यम से समाज की भलाई करना है। कोविड-19 महामारी ने भारत में  रोगाणुरोधी प्रतिरोध   की बढ़ती समस्या को उजागर किया, और इस गंभीर समस्या को विकसित की जा रही महंगी रोगाणुरोधी दवाओं से हल नहीं किया जा सकता है। देश को बेहद किफायती और अधिक कारगर समाधानों की जरूरत है, जो खेती सहित हर तरह के परिवेश में रोगाणुरोधी दवाओं के उपयोग को कम कर सकें। सूक्ष्मजीवों में प्रतिरोधक तंत्र के बारे में नई जानकारी तथा संक्रमण पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों की शीघ्रता से पहचान करने के नैदानिक तरीकों के माध्यम से  रोगाणुरोधी प्रतिरोध   की समस्या का निवारण किया जा सकता है।

इस अवसर पर कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी के एमडी एवं सीईओ,रमेश श्रीनिवासन ने कहा, “स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित हमारी सीएसआर परियोजनाओं में निवारक स्वास्थ्य देखभाल और स्वच्छता शामिल हैं। हमें बेहद खुशी है कि, हमें इग्नाइट लाइफ साइंस फाउंडेशन के साथ जुड़ने और रोगाणुरोधी प्रतिरोध के क्षेत्र में अनुसंधान हेतु सीएसआर फंडिंग प्रदान करने का अवसर मिला है। मानव स्वास्थ्य के लिए बड़े पैमाने की इन समस्याओं और उनकी अहमियत को देखते हुए, हम मानते हैं कि हमारी सीएसआर परियोजना के संभावित परिणाम अत्यंत लाभकारी होंगे।”

गंगाजेन बायो टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष तथा इग्नाइट लाइफ साइंस फाउंडेशन के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य, डॉ. टी.एस. बाल गणेश ने कहा, “हमने आधुनिक चिकित्सा से जो कुछ भी हासिल किया है, रोगाणुरोधी प्रतिरोध उसे पूरी तरह अस्त-व्यस्त करने की कगार पर है।  इस वैश्विक और स्थानीय समस्या का समाधान करने के लिए नवीन चिकित्सा विज्ञान की तत्काल आवश्यकता है। भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत  रोगाणुरोधी प्रतिरोध   को प्राथमिकता दी गई है। अनुसंधान, जागरूकता और प्रबंधन के लिए आर्थिक सहायता के माध्यम से हम सभी को सम्मिलित स्तर पर अपने प्रयासों को बढ़ाना होगा, जो निश्चित तौर पर इस संभावित ‘महामारी’ से निपटने की दिशा में अत्यंत प्रभावी सिद्ध होगा

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