Home मुंबई-अन्य महाराष्ट्र के कुल 114 मंदिरों में ड्रेस कोड लागू ! – महाराष्ट्र मंदिर महासंघ का दावा

महाराष्ट्र के कुल 114 मंदिरों में ड्रेस कोड लागू ! – महाराष्ट्र मंदिर महासंघ का दावा

by zadmin

महाराष्ट्र के कुल 114 मंदिरों में ड्रेस कोड लागू ! – महाराष्ट्र मंदिर महासंघ का दावा
नवीन कुमार

मुंबई (@निर्भय पथिक)। जलगाव, अकोला, धुले, नागपुर, नासिक, अमरावती, अहिल्यानगर (नगर) सहित महाराष्ट्र के कुल 114 मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किया गया  है। इसके लिए आयोजित बैठक में आज मुंबई, ठाणे, रायगड और पालघर के 18 मंदिर सहभागी हुए। यह जानकारी ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के समन्वयक सुनील घनवट ने पत्रकार वार्ता में दी । वे मुंबई के श्री शीतलादेवी मंदिर में महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से आयोजित पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे । इस मौके पर जीएसबी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रवीण कानविंदे, श्री जीवदानी मंदिर के अध्यक्ष प्रदीप तेंडोलकर, कडव गणपति मंदिर के न्यासी (कर्जत) विनायक उपाध्याय, केरलीय क्षेत्रपरिपालन समिति के आचार्य पी.पी.एम. नायर उपस्थित थे । जिन मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किया गया है उनके नाम सुनील घनवट ने घोषित किए ।
    महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से 7 जून को दादर के स्वातंत्र्ययवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक में मुंबई, ठाणे, रायगड एवं पालघर जिले के मंदिरों के न्यासी की बैठक आयोजित की गई थी । इस बैठक में उपस्थित सभी मंदिर न्यासी ने मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने का प्रस्ताव एकमत से पारित किया गया । बताया गया कि वर्ष 2020 में महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सभी सरकारी दफ्तरों में ड्रेस कोड लागू किया था । इसमें ‘जीन्स पैंट’, ‘टी-शर्ट’, ‘चमकीले रंग के कपड़ों’ पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके पीछे सरकार की मंशा थी कि सरकार की छवि खराब ना हो । इतना ही नहीं बल्कि देश के अनेक मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च, मस्जिद एवं अन्य प्रार्थनास्थल, निजी अस्थापन, विद्यालय-महाविद्यालय, न्यायालय, पुलिस आदि सभी क्षेत्रों में ड्रेस कोड लागू है । उसी तरह मंदिरों में भी ड्रेस कोड लागू होना चाहिए, ऐसा सुनील घनवट ने कहा।
    कुछ लोग मंदिर में अंगप्रदर्शन करनेवाले अशोभनीय, अश्लील, भद्दे कपड़े तथा फटी जींस या कम कपड़े पहनकर आते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार जब भक्त सात्विक पोशाक पहनकर मंदिर में आते हैं, तो उन्हें मंदिर की सात्त्विकता का लाभ मिलता है और मंदिर की पवित्रता, शुभता, परंपरा और संस्कृति संरक्षित रहती है । यही कारण है कि मंदिर के न्यासियों ने मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने का निर्णय स्वयं स्फूर्ती से लिया है । यह तो अभी शुरुआत है, ऐसा जीएसबी मंदिर ट्रस्ट के सचिव एवं ट्रस्टी शशांक गुलगुले ने कहा ।
  12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र का श्री घृष्णेश्वर मंदिर, वाराणसी का श्री काशी-विश्वेश्वर मंदिर, आंध्रप्रदेश का श्री तिरुपती बालाजी मंदिर, केरल के विख्यात श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, कन्याकुमारी का श्री माता मंदिर ऐसे कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में अनेक वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए सात्त्विक ड्रेस कोड लागू है। गोवा के बहुतांश मंदिरों सहित ‘बेसिलका ऑफ बॉर्न जीसस’ एवं ‘सी कैथ्रेडल’ इन बडे चर्चों में भी ड्रेस कोड लागू है। सनातन संस्था की श्रीमती धनश्री केळशिकर ने कहा कि मंदिर में सात्विक वस्त्र धारण करने से मंदिर की पवित्रता का लाभ होता है । इस मौके पर जीएसबी टेम्पल ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ऋत्विक औरंगाबादकर, श्री शीतलादेवी एवं मुरलीधर देवस्थान के पालक न्यासी अनिल परूळकर, श्री भुलेश्वर एवं श्री बालाजी रामजी देवस्थान के पालक विश्वस्त दीपक वालावलकर, माहीम के श्री दत्त मंदिर के किशोर सारंगुल, माहीम के श्रीराम मंदिर के सचिव अभय तामोरे, श्री जब्रेश्वर महादेव मंदिर (बाणगंगा) के पंकज सोलंकी उपस्थित थे । 

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