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भारतीय शिक्षा प्रणाली उपयोगी – स्कूली शिक्षा मंत्री केसरकर

by zadmin

भारतीय शिक्षा प्रणाली उपयोगी – स्कूली शिक्षा मंत्री केसरकर 

विशेष संवाददाता

 मुंबई, (Nirbhay Pathik):स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर का कहना है कि  भारतीय शिक्षा प्रणाली उपयोगी है।  सर्वोत्तम शिक्षा विधियों या दुनिया के सर्वश्रेष्ठ  अध्ययनों को स्वीकार करना सुनिश्चित करें।  हालांकि  स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने निर्देश दिया है कि यदि भारतीय शिक्षा व्यवस्था प्राथमिक स्तर पर उपयुक्त है तो  इसमें अनावश्यक रूप से बदलाव न करें।  उन्होंने अंग्रेजी भाषा के बर्चस्व से बाहर निकलने की अपील भी की।  महाराष्ट्र राज्य पाठ्य पुस्तक निर्मिती व अभ्यासक्रम संशोधन  मंडल  (बालभारती ) गवर्निंग बोर्ड की 251 वीं बैठक बुधवार 3 मई को  स्कूल शिक्षा  मंत्री और बोर्ड के अध्यक्ष मंत्री दीपक केसरकर की अध्यक्षता में हुई । प्रधान सचिव रणजीत सिंह देओल , महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षा परिषद के राज्य परियोजना निदेशक कैलाश पगारे ,स्कूल शिक्षा आयुक्त सूरज मांढरे , महाराष्ट्र राज्य  शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष  और प्राथमिक  शिक्षा निदेशक  शरद गोसावी,  महाराष्ट्र राज्य पाठ्य पुस्तक निर्मिती व अभ्यासक्रम संशोधन मंडल के निदेशक एवं माध्यमिक शिक्षा निदेशक और  नियामक मंडल के सचिव कृष्ण कुमार पाटिल तथा सम्बंधित अधिकारी  उपस्थित रहे।  मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि  भारतीय संस्कृति और शिक्षा व्यवस्था पुरातन है।  विद्यार्थियों  को हंसते मुस्कराते हुए  सिखाया गया पाठ हमेशा याद  रहता है।  इसलिए जो अच्छा है उसे स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में गोदामों की हालत अच्छी अवस्था में रखा जाये और यह सुनिश्चित किया जाये कि बालभारती की किताबें और उसके कागज ख़राब नहीं हो। इन कार्यों को मानसून के पहले पूरा कर लिया जाये। उन्होंने आशा व्यक्त की कि  विश्व की सभी अच्छी पद्धतियों के अनुसार एक ही स्थान पर संग्रहालय बनाया जाए और यह संग्रहालय अनुसंधान के लिए उपयोगी हो। उन्होंने कहा कि  सभी स्कूलों को इंटरनेट से जोड़ा जायेगा।  इसके लिए दुर्गम भागों में जिन स्कूलों में नेटवर्क नहीं है  उसकी जानकारी लेकर उसे उपग्रह के जरिये जोड़ने की उपाययोजना की  जानी चाहिए।  उन्होंने कहा कि आगामी  शैक्षणिक वर्ष  के लिए  दी जाने वाली  पाठ्य पुस्तकें छात्रों को समय पर उपलब्ध कराई जाएं । उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों में पढ़ने की रूचि पैदा करने के लिए पाठ्यक्रम के अलावा अन्य रूचि की किताबें स्कूल में उपलब्ध कराई जानी चाहिए। 

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