पुनर्विचार याचिका खारिज करना दुर्भाग्यपूर्ण – कांग्रेस
विशेष संवाददाता
मुंबई(निर्भय पथिक): महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा मराठा आरक्षण के बारे में सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से राज्य सरकार को तगड़ा झटका लगा है। मराठा समाज को आरक्षण मिले इसलिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी लेकिन कोर्ट ने राज्य सरकार की मराठा आरक्षण के बारे में मांग को नामंजूर करते हुए पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद इस पर अपनी विस्तार से प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि एसईबीसी आरक्ष्ण मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुनर्विचार याचिका ख़ारिज करने का फैसला मराठा समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्यों को आरक्षण देने का अधिकार नहीं होना और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा इन दो बाधाओं के कारण सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई 2021 को मराठा समाज को आरक्षण देनेवाला एसईबीसी कायदा निरस्त किया था। उसके बाद 10 और 11 अगस्त 2021 को केंद्र सरकार ने संसद में में 127वां संविधान संशोधन विधेयक पेश करके जाति समूह का पिछड़ापन निश्चित करने का अधिकार राज्यों को बहाल किया जिसके कारण पहली अड़चन दूर हुई। लेकिन 50 फीसदी आरक्षण की सीमा में ढील देने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया होता या यह आरक्षण सीमा पार करनेवाले आर्थिक रूप से कमजोर घटकों के आरक्षण के जैसे ही मराठा आरक्षण को संसद से आवश्यक वह संवैधानिक प्रावधान संरक्षण दिया होता तो शायद आज मराठा समाज को न्याय मिला होता। चव्हाण ने कहा कि उस समय महाविकास अघाड़ी के सांसदों ने 50 फीसदी आरक्षण की सीमा में छूट देने की मांग संसद में आक्रामकता से उठाई थी, लेकिन भाजपा इस बारे में चुप रही। उसी का परिणाम सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले में दीखता है। मराठा समाज को आरक्षण दिया जाना है तो आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा में छूट महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उम्मीद की जाती है कि राज्य सरकार और भाजपा 50 फीसदी आरक्षण की सीमा में ढील देने के लिए केंद्र सरकार के पास खानापूर्ति करेगी।