सरकार के दृष्टिकोण का परिष्कृत संस्करण दिखाने के लिए मीडिया दबाव में – डॉ शशि थरूर
विशेष संवाददाता
मुंबई.(निर्भय पथिक):, उचित मापदंड से हटकर प्रत्येक स्वायत्त संस्थान को कमजोर किया जा रहा है और ऐसा लगता है कि सरकार व्यक्तियों को संस्थानों का प्रमुख नियुक्त करने से पहले केवल उनकी वफादारी देखती है। यह कहना है कांग्रेस नेता और सांसद डॉ शशि थरूर का। वे शनिवार 15 अप्रैल की रात को मुंबई प्रेस क्लब में मीडिया को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा ऐसा लगता है कि मीडिया सरकार को आईना दिखाने के बजाय सरकार के दृष्टिकोण का एक परिष्कृत संस्करण दिखाने के लिए दवाब में है । जबकि उन्हें सरकार को आईना दिखाना चाहिए। ‘लोकतंत्र के महत्वपूर्ण कड़ी के तौर पर एक स्वतंत्र मीडिया की आवश्यकता ‘ विषय पर बोलते हुए डॉ थरूर ने अपने होम स्टेट केरल के एक अख़बार का नाम लेते हुए कहा कि वह वाम पंथियों का एजेंडा चलाता है। यहाँ ‘सामना ‘एक पार्टी का एजेंडा चलाता है। लेकिन जो मीडिया अपने को स्वतंत्र कहती है वह निष्पक्षता,स्वतंत्रता से काम नहीं करती तो वह वास्तव में स्वयं को धोखा दे रही है क्योंकि वह जो कह रही है वह नहीं कर रही है। डॉ थरूर ने कहा कि प्रेस को डराना – धमकाना एक जायज मुद्दा है और अगर पार्टी के घोषणा पत्र में उनकी आवाज है तो वह निश्चित रूप से सुझाव देंगे कि इसे मुद्दा बनाया जाना चाहिए और पार्टी प्रेस की स्वतंत्रता की गारंटी और गैर – हस्तक्षेप के लिए खड़ी होगी। उन्होंने कहा कि प्रेस एक खिड़की की तरह है जो प्रकाश को अंदर आने देती है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के लिए राज द्रोह कानून जैसे कठोर उपायों का इस्तेमाल करना समाज के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा यदि प्रेस स्वतंत्र नहीं है तो समाज का दम घुटने का खतरा है। उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र का सबसे अच्छा संकेतक है।
उन्होंने कहा कि 2019 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के पहले कुछ महीनों में वह अपनी भविष्यवाणी से बहुत दूर नहीं थे क्योंकि सरकार तीन तलाक पर कानून लाई और अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों को समाप्त कर दिया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह निश्चित तौर पर भारत में लोकतंत्र के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने डिजिटल मीडिया की कुछ वेब साईट की सराहना की और कहा कि चूँकि इन्हें छापना और वितरण करना नहीं होता है लेकिन यह कम खर्च में एक्सेस हैं इनका बिज़नेस इंटरेस्ट नहीं है जिससे यह सरकार के दबाव में आये इसलिए यह अधिक स्वतंत्र होकर काम कर रही है।
उन्होंने अतीत को याद करते हुए कहा कि टी एन शेषन और जेम्स माइकल लिंगदोह जैसे ईमानदार लोगों को मुख्य चुनाव आयुक्त जैसे प्रमुख पदों पर नियुक्त किया गया था आज की सरकार लोगों को शीर्ष पदों पर नियुक्त करने के लिए किसी अन्य क्षमता के बजाय वफादारी परीक्षण में विश्वास करती है। कांग्रेस सहित कुछ राजनेताओं के बीच मीडिया की आलोचना के प्रति बढ़ती असहिष्णुता पर उनके विचार पूछे जाने पर डॉ थरूर ने कहा कि नेताओं को रचनात्मक आलोचना करनी चाहिए। उन्होंने कहा कुछ सवालों को हंस कर टाल देना चाहिए। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के गुस्से पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।