Home मुंबई-अन्य बाबरी मस्जिद गिराने में कोई शिवसैनिक नहीं था – चंद्रकांत पाटिल

बाबरी मस्जिद गिराने में कोई शिवसैनिक नहीं था – चंद्रकांत पाटिल

by zadmin

बाबरी मस्जिद गिराने में कोई शिवसैनिक नहीं था –  चंद्रकांत पाटिल

विशेष संवाददाता 

मुंबई (निर्भय पथिक):भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और उच्च तंत्र शिक्षा मंत्री के एक बयान दिन भर छाया रहा।  इस बयान में भाजपा नेता ने कहा था कि 6 दिसम्बर 1992 को जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरायी गयी थी तब उसमें कोई भी शिवसैनिक नहीं था।  उनका यह बयान उनके द्वारा ज़ी 24 तास को दिए गए साक्षात्कार का अंश था। जिसे निलेश खरे ने लिए था। उनके इस बयान को फैलते ही हंगामा मच गया।  स्वयं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चंद्रकांत पाटिल को फ़ोन करके कहा कि वह इस मामले में पत्रकार परिषद  लेकर सफाई दें। वहीं उद्धव ठाकरे ने पत्रकार परिषद लेकर कहा कि चंद्रकांत पाटिल का इस्तीफा लिया जाये नहीं तो मुख्यमंत्री स्वयं अपने पद से इस्तीफा दें। चंद्रकांत पाटिल ने पत्रकार परिषद लिया और कहा कि उन्होंने अपनी बात में कहीं भी हिन्दू ह्रदय सम्राट  बाला साहब का अपमान नहीं किया है। उनका वह बयान देखकर इसकी पुष्टि की जा सकती है। वह सदैव बालासाहेब को सम्मान देते रहे हैं। चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि बाबरी मस्जिद जब गिराई गयी तब जो लोग थे वह हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व कर रहे थे न कि किसी पार्टी का। उन्होंने अपने पहले वाले बयान में कहा था कि जो लोग मस्जिद ढहाए वह बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी के कार्यकर्ता थे। उन्होंने  सफाई देते हुए पत्रकार परिषद में कहा कि मंदिर के लिए कई आंदोलन हुए। 1985 से लेकर उसके बाद तीन — तीन बार संघर्ष हुआ। विश्व हिन्दू परिषद के नेतृत्व में यह आंदोलन हुआ था और बाकी उसके मातहत हिंदुत्व के तहत मौजूद थे। जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई तो उसमें भाजपा भी थी।     हालांकि शिवसेना के तत्कालीन प्रमुख बाला साहब ने कहा था कि उस विवादित ढांचे को गिराने में कोई शिवसैनिक शामिल होगा तो उन्हें गर्व होगा। पाटिल ने सोमवार को कहा था  कि उद्धव गुट के  राज्य सभा सदस्य संजय राउत बाबरी मस्जिद के गिराने की बात करते रहते हैं लेकिन जब वह ढांचा गिराया जा रहा था तब क्या वह उस समय स्वयं वहां मौजूद थे ?. पाटिल ने एकनाथ  शिंदे द्वारा बाला साहेब का उत्तराधिकार छीन लेने के उद्धव ठाकरे के  बयान पर कहा कि स्वर्गीय शिवसेना प्रमुख किसी एक के नहीं थे बल्कि बालासाहब सभी हिंदुओं के थे। हर कोई उनके नाम का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है।  

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