Home मुंबई-अन्य राजस्थानी भाषा में आयकर पर लिखी पुस्तक-आवकलाग अर लागदेणार-ने रचा इतिहास

राजस्थानी भाषा में आयकर पर लिखी पुस्तक-आवकलाग अर लागदेणार-ने रचा इतिहास

by zadmin

राजस्थानी भाषा में आयकर पर लिखी पुस्तक-आवकलाग अर लागदेणार-ने रचा इतिहास

जगदीश पुरोहित 
मुंबई(निर्भय पथिक): आयकर बाबत लिखी गई पहली राजस्थानी पुस्तक का लोकार्पण 26.03.2023 को हुआ जिसके मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति डा. विनीत कोठारी, भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश गुजरात एवं मद्रास न्यायालय थे. इसी अवसर पर मुंबई उच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश श्री विजय एल आंचलिया; मंगलप्रभात लोढा, मंत्री (महाराष्ट्र सरकार) पर्यटन, कौशल विकास एवं उद्यशीलता; पूर्व मंत्री राज के.  पुरोहित, आई टी ए टी सदस्य प्रशान्त महर्षि, फिल्म अभिनेता राहुलसिंह, आयकर, कस्टम और रेल विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, डाक्टर्स्, सी.ए, अभिभाषक, उद्योगपति, पत्रकार, व्यापारी बङी संख्या में राजस्थानी-भाषाप्रेमी उपस्थित रहे.
न्यायमूर्ति कोठारी ने अपने सारगर्भित भाषण में कहा कि राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूचि में स्थान मिलना चाहिए और अन्य प्रांतीय भाषाओं की तरह उसका भी सम्मान होना चाहिए.उनके अनुसार यह पुस्तक राजस्थानी की क्षमता की प्रमाण है और आयकर-लेखन-इतिहास में यह दिन हमेशा याद रखा जाएगा.इस तथ्य के मद्देनजर की आजादी के 75 वर्ष पश्चात आयकर पर राजस्थानी में पहली पुस्तक लिखी गई है न्यायमूर्ति कोठारी ने घोषणा की के वे इस पुस्तक की प्रतियां अपनी टिप्पणी के साथ राजस्थान के न्यायाधीशों और आयकर अभिभाषकों को भेजेंगें.
पुस्तक के लेखक श्री राजेन्द्र भूतपूर्व सदस्य आयकर अपीलीय अधिकरण मुबंई भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी है.उन्होंने कहा कि लगभग 2,00,000 शब्दों के शब्दकोष वाली राजस्थानी की क्षमता, प्रभावशीलता और सामर्थ्य का सबूत है यह पुस्तक और आशा व्यक्त की कि आनेवाले समय में अन्य विषयों पर भी राजस्थानी पुस्तकें प्रकाशित होंगी. 
लगभग सात सौ पृष्ठ वाली इस पुस्तक में आयकर से संबंधित सभी मुख्य विषयों जैसे के आय के शीर्ष,करमुक्त आय और कटौतियां,अन्तरराष्ट्रीय कराधान और मूल्य अन्तरण,जुर्माने और अभियोजन,तलाशी-जब्ती और सर्वेक्षण, कर निर्धारण और प्रतिदाय जैसे सभी विषयों पर चर्चा हुई है. 
पुस्तक की 11,000 प्रतियां बुक हो चुकी हैं. कराधान संबंधी जारी हुई किताबों में पहले ही दिन इतनी प्रतियों का आदेश पाकर आवकलाग अर लागदेणार पुस्तक ने नया कीर्तिमान बनाया है. 
समारोह में उपस्थित पुरुषों के रंगीन राजस्थानी साफों ने और महिलाओं की परंपरागत मांगलिक पीली वेशभूषा ने वातावरण को रंगीन और खुशनुमा बना दिया. नौ महिलाओं द्वारा की गई मां भगवती की आरती के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ. राजस्थानी कलाकारों ने अपनी नृत्य कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. ढोल थाली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यांगना रक्षा राजपुरोहित ने भी मंच पर प्रस्तुति दी.
समारोह का सफल संचालन श्रीमती सीमा बागला, श्रीमती रक्षा राजपुरोहित और सुश्री राशि ने किया।

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