महाराष्ट्र में रोजाना आठ किसान करते हैं आत्महत्या
विशेष संवाददाता
मुंबई(निर्भय पथिक):शुक्रवार को विधानसभा में नियम 293 के तहत हुई चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने कहा कि अपर्याप्त, भारी बारिश, बेमौसम बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं से राज्य में कृषि पर संकट आ गया है। कृषि उत्पादों के दाम बेहद कम मिलने से किसानों को सब्जियों, कृषि उत्पादों को सड़कों पर फेंकने का समय आ गया है। उर्वरक की बढ़ती कीमतों, बोगस बीज का मामला, घिरते सिबिल की वजह से बैंक कर्ज नहीं देते। कृषि पंपों के बिजली कनेक्शन काटे जा रहे हैं। जिससे राज्य का किसान बेहाल हो गया और राज्य में किसानों की आत्महत्या बढ़ी है। रोजाना आठ किसान आत्महत्या कर रहे हैं। विपक्ष के नेता अजित पवार ने शिंदे-फडणवीस सरकार पर किसानों के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे सरकार के 7 माह के कार्यकाल में 1023 किसानों ने आत्महत्या की है। उद्धव ठाकरे सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में 1607 किसानों ने आत्महत्या की, जबकि साल 2014 से 2019 के पांच साल के देवेंद्र फडणवीस सरकार के कार्यकाल में 5061 किसानों ने आत्महत्या की थी।
अजित पवार ने कहा कि किसान ही दुनिया का पोषण करने वाला है। वह संकट में है तो राज्य और देश की अर्थव्यवस्था नहीं पलट सकती। कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को लागू करते समय सरकार को कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, लेकिन शिंदे-फडणवीस सरकार ने कृषि विभाग को तबादलों, पदोन्नति और भर्ती में फंसा रखा है। राज्य में राष्ट्रीयकृत बैंक किसानों को कर्ज नहीं देते हैं। सिबील खराब होने के कारण किसानों को कर्ज लेने में दिक्कत हो रही है। संकट के समय यदि बैंक किसानों को कर्ज नहीं देते हैं तो उन्हें मजबूरी में साहूकारों के दरवाजे पर खड़ा होना पड़ता है। वे कर्ज नहीं चुका पाते और फिर किसान आत्महत्या कर लेता है। यह बड़ा दुष्चक्र है। इसे भेदने में सरकार नाकाम रही है।
उन्होंने कहा कि फसल बीमा को लेकर कई शिकायतें हैं। पिछले साल विदर्भ, मराठवाड़ा, पश्चिम महाराष्ट्र, उत्तरी महाराष्ट्र, कोकण और लगभग पूरे महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण बड़ा नुकसान हुआ, लेकिन किसानों को बीमा कंपनियों से उचित मुआवजा नहीं मिला।