महाराष्ट्र बजट अधिवेशन
दृष्टि की कमी और अवास्तविक बजट अजित पवार
नवीन कुमार
मुंबई (निर्भय पथिक)। महाराष्ट्र राज्य का बजट केवल शब्दों का फूल, सपनों का स्वप्न और नारों की सूखी भूमि है। राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए यह संदेह है कि इनमें से कितनी चीजें फल देंगी। सोचा था देवेंद्रजी के रूप में हमें पढ़ा-लिखा वित्त मंत्री मिला है। लेकिन बजट कैसे पढ़ें? यह किताब लिखने और वास्तविक बजट लिखने में बड़ा अंतर है। विधान सभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने बजट लिखने में वित्त मंत्री फडणवीस की कमी की आलोचना करते हुए आज राज्य के बजट पर प्रहार किया, जिसमें दृष्टि की कमी है और वास्तविकता से वाकिफ नहीं है।
विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा कि राज्य की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट का अध्ययन करने पर पता चलता है कि राज्य की अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो गई है। यह राज्य के लिए चिंता का विषय है। महाराष्ट्र की प्रति व्यक्ति आय में भी कमी आई है। महाविकास आघाड़ी के काल में हमने वित्त मंत्री के रूप में राज्य को दीर्घकालीन और सतत विकास के पथ पर ले जाने वाला बजट पेश किया था। लेकिन पिछली सरकार की कई योजनाओं को इस सरकार ने बंद कर दिया है। साथ ही कई योजनाओं को स्थगित करने का काम किया है। लिहाजा इन योजनाओं पर अब तक केवल 52 फीसदी राशि ही खर्च की जा सकी है। इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति में कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में राज्य के विकास के लिए इस तरह के फंड का बिना खर्च के रहना सही नहीं है। साथ ही पिछली जिला वार्षिक योजना के लिए महाविकास आघाड़ी सरकार ने 13 हजार 290 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिसमें से अब तक केवल 33 प्रतिशत राशि ही खर्च की जा सकी है। राज्य के हिंगोली, उस्मानाबाद जिलों में केवल सात और आठ प्रतिशत राशि खर्च की गई है। राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र जी के नागपुर जिले में भी केवल 15 प्रतिशत राशि ही खर्च की गई है। राज्य के विभिन्न जिलों के पालक मंत्री क्या करते हैं? क्या वे विकास पर ध्यान नहीं देते? ये सवाल उठते हैं। एक काम करके तीन-तीन बिल निकालने का कारनामा किया है इस मंडली ने किया है। विपक्ष के नेता अजित पवार ने आलोचना करते हुए कहा कि इस सरकार का राज्य के विकास से कोई लेना-देना नहीं है। प्रदेश के विकास के लिए हमने प्रदेश का पांच सूत्री बजट पेश किया है, इस बजट में इसकी कॉपी करने की कोशिश की है। समाज के विभिन्न वर्गों को खुश करने के लिए केवल महामंडलों के नामों की घोषणा की गई है। इन महामंडलों को कितनी निधि दी जाएगी इसका उल्लेख न करते हुए केवल निधि का प्रावधान किया गया है। यह बजट सूखी घोषणाओं के अलावा और कुछ नहीं है। राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता है कि इनमें से कितने पूर्ण होंगे। वहीं, अप्रैल में बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी से प्रदेश की जनता को महावितरण बड़ा झटका देने वाला है। कीमतों में 30 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी की संभावना है। इस बजट से समाज के किसी भी वर्ग को न्याय नहीं मिलेगा। समाज के हर तबके जैसे मजदूर, किसान, कर्मचारी, व्यवसायी सभी का चेहरा पोंछने का काम इस बजट में किया गया है। विपक्ष के नेता अजित पवार ने आलोचना करते हुए कहा कि यह बजट अमृत अवधारणा पर आधारित है। अमृत को आज तक किसी ने नहीं देखा है, इसलिए इस बजट में किसी भी घोषणा को पूरा होते नहीं देखा जा सकता है।