विशेषाधिकार समिति के पुनर्गठन की मांग अध्यक्ष ने ठुकराया
विशेष संवाददाता
मुंबई(निर्भय पथिक): विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के गठन पर विपक्ष ने प्रश्नचिन्ह लगाया है और इसके पुनर्गठन की मांग की है। विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा कि कई ऐसे सदस्य हैं, जो पहले ही विशेषाधिकार हनन पर अपनी राय रख चुके हैं। उनका इस समिति में होना उचित नहीं है। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अजित पवार की मांग को ठुकराते हुए कहा कि समिति का गठन नियमों को ध्यान में रखकर किया गया है।
गुरुवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा कि विधानसभा सदस्य अतुल भातखलकर, संजय शिरसाट, नितेश राणे और आशीष जायसवाल ने बुधवार को सामना कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य सभा के सदस्य संजय राऊत के खिलाफ लाए गए विशेषाधिकार हनन पर अपनी राय व्यक्त की थी, जिसे आपने मंज़ूर किया और विधानसभा विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का निर्णय लिया। 8 मार्च को संजय राऊत के बारे में समिति निर्णय लेगी। हालांकि समिति में उन लोगों को सदस्य बनाया, जो इस मामले पर पहले भी अपना मत रख चुके हैं। समिति का काम वादी-प्रतिवादी का होता है, विशेषाधिकार हनन का नोटिस देने वाले ही वादी है, यह कदाचित मान्य नहीं होगा। यह प्राकृतिक न्याय नहीं है। हमारी मांग है कि इस समिति का फिर से गठन किया जाए।
भाजपा के आशीष शेलार ने कहा कि यह समिति 100 फीसदी कानूनी है। यह एक स्थायी व्यवस्था है। आप किसी भी सदस्य से उसके बोलने का अधिकार नहीं छीन सकते। इस सदन का कोई भी सदस्य अध्यक्ष द्वारा नियुक्त किया जा सकता है। कोई सदस्य चर्चा में भाग लेता है। समिति का सदस्य होने के कारण किसी का विशेषाधिकार नहीं छीना जा सकता। जिन सदस्यों ने अपनी राय रखी उन्हें नहीं पता था कि वे विशेषाधिकार समिति के सदस्य बनने वाले हैं। शिवसेना (उद्धव गुट) के रविंद्र वायकर ने कहा कि फरियादी ही अगर न्यायाधीश हो जाएगा तो न्याय कैसे मिलेगा। अशोक चव्हाण ने कहा कि जिन्होंने विशेषाधिकार नोटिस दिया है, अगर वे ही पूछताछ करेंगे, जांच करेंगे तो ठीक नहीं होगा। हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में भी कई बार न्यायाधीश कुछ मामलों से खुद को अलग करते हैं।
विधायकों की राय सुनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि जब समिति बनती है तो वह किसी एक मामले के लिए नहीं बनती, बल्कि उसका कार्यकाल होता है। समिति के सामने कई याचिकाएं आती हैं। कई बार ऐसा होता है कि कई विधानसभा सदस्य जो इस समिति में भी होते है वे याचिकाएं करते हैं। ऐसे में समिति फैसला करती है कि याचिका करने वाले सदस्य समिति से उस मामले के लिए अलग हो सकते हैं। समिति फैसला कर सकती है कि जिन्होंने याचिका की है वे सुनवाई करेंगे या नहीं। साथ ही उन्होंने कहा कि सदन में राय रखने के चलते किसी को समिति में शामिल नहीं किया जाएगा तो विधायकों के लिए समिति मे काम करना असंभव हो जाएगा। इसके चलते दूसरे मुद्दे को अमान्य करना पड़ेगा। महाराष्ट्र विधानसभा विशेषाधिकार समिति में 15 विधायकों को शामिल किया गया है उनके नाम हैं राहुल कुल को इस समिति का प्रमुख बनाया गया है। समिति में अतुल भातखलकर, योगेश सागर, अमित साटम, नितेश राणे, अभिमन्यु पवार, संजय शिरसाट, सदा सरवणकर, दिलीप मोहिते पाटिल, माणिकराव कोकाटे, सुनील भुसारा, डॉ नितिन राऊत, विनय कोरे ,सुनील केदार, आशीष जायसवाल।