महाराष्ट्र बजट अधिवेशन
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधान परिषद में अपनी सफाई में विपक्ष को नहीं बल्कि नवाब मलिक को देशद्रोही बताया
नवीन कुमार
मुंबई (निर्भय पथिक)। महाराष्ट्र विधान परिषद में राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के राज्यसभा सदस्य संजय राऊत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के अलग-अलग प्रस्ताव आए थे। मुख्यमंत्री शिंदे के खिलाफ विपक्ष के नेता अंबादास दानवे तो राऊत के विरोध में भाजपा के सदस्य राम शिंदे ने उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे के समक्ष प्रस्ताव रखे थे। इनमें से एक प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री शिंदे अपनी सफाई पेश करने के लिए विधान परिषद में उपस्थित हुए। उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार और विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के साथ विपक्ष के किसी नेता को देशद्रोही नहीं कहा बल्कि पूर्व मंत्री नवाब मलिक को देशद्रोही कहा है जो इस समय जेल में बंद हैं। उन पर मुंबई में सीरियल बम धमाकों के आरोपी और आतंकवादी दाऊद इब्राहिम के लोगों के साथ वित्तीय लेनदेन में एएनआई और ईडी ने सबूत जुटाए और उनके खिलाफ संगीन मामले दर्ज किए और इस आधार पर मलिक जेल में हैं। शिंदे ने कहा कि मलिक के अंडरवर्ल्ड के लोगों से रिश्ते जाहिर होने के बावजूद मविआ सरकार ने उनसे कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा नहीं लिया। शिंदे अपने वक्तव्य पर कायम रहते हुए कहा कि अगर मलिक जैसे लोगों को देशद्रोही कहना अपराध है तो मैं यह अपराध बार-बार करूंगा। हालांकि, अपनी सफ़ाई देते समय शिंदे ने विपक्ष के नेता अंबादास दानवे से सवाल किया कि क्या वह ऐसे देशद्रोही का समर्थन करते हैं।
परिषद में इन गंभीर मुद्दों पर माहौल काफी गरम रहा। सत्ता पक्ष के सदस्य मुख्यमंत्री शिंदे के समर्थन में बोल रहे थे तो विपक्ष चाहता था कि मुख्यमंत्री अपनी सफ़ाई विशेषाधिकार हनन समिति के सामने रखें। उपसभापति डॉ. गोर्हे ने नियम का हवाला देते हुए शिंदे को स्पष्टीकरण देने की इजाजत दी।सभागृह में उपस्थित उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी सदन के सदस्यों को नियम बताते हुए समझाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि सदन सर्वोच्च है और यहां पर मुख्यमंत्री का स्पष्टीकरण प्रमाणिक होगा। इसके बाद मुख्यमंत्री ने विपक्ष के नेता अंबादास दानवे और सदस्य अनिल परब की सहमति से अपनी बात सदन में रखी।
बजट अधिवेशन की पूर्व संध्या पर सरकार ने विपक्ष को चायपान का न्यौता दिया था जिसे विपक्ष ने नकार दिया था। उसी दिन प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कहा कि अच्छा हुआ चाय पर नहीं आए वर्ना देशद्रोही के साथ पीनी पड़ती। विपक्ष ने इसी के आधार पर मुख्यमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया। लेकिन मुख्यमंत्री शिंदे ने अपनी सफाई में कहा कि शुरुआत विपक्ष की ओर से हुई। विपक्ष ने चायपान का बहिष्कार करते हुए कहा था कि महाराष्ट्रद्रोही ने चाय पीने का निमंत्रण दिया है हम चाय नहीं पीएंगे। आप बताएं हमने महाराष्ट्रद्रोह क्या किया है। हमने अजित दादा या अंबादास जी को देशद्रोही नहीं कहा है। नवाब मलिक को इसलिए कहा कि उनके संबंध दाऊद, उनके गैंग के लोगों और रिश्तेदारों से जाहिर हुए हैं। दाऊद इब्राहिम, अनीस इब्राहिम शेख, छोटा शकील, जावेद चिकना, टाइगर मेमन, इकबाल मेमन, दाऊद की बहन हसीना पारकर इन सभी पर देशद्रोह का गुनाह दाखिल है। बम विस्फोट मामले में सरदार खान को सजा हुई है। लेकिन मलिक के सरदार खान और हसीना पारकर के साथ एक जमीन का व्यवहार उजागर हुआ है। इस मामले में मलिक जेल में बंद हैं।
मुख्यमंत्री शिंदे के स्पष्टीकरण पर विपक्ष के नेता अंबादास दानवे, शशिकांत शिंदे और अनिल परब ने कुछ सवाल भी उठाए। लेकिन उपसभापति डॉ. गोर्हे ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री को स्पष्टीकरण देने के लिए समय दिया और उन्होंने स्वीकार किया है कि उन्होंने सभागृह और विपक्ष को देशद्रोही नहीं कहा है। मुख्यमंत्री के स्पष्टीकरण देने के बाद उस पर चर्चा नहीं की जा सकती है। उपसभापति डॉ. गोर्हे ने कहा कि विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव स्वीकार करना है या नहीं करना है या इसे विशेषाधिकार हनन की विशेष समिति के पास भेजना है या नही इस पर मैं निर्णय लूंगी। इस विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव को खारिज नहीं किया गया है। लेकिन संजय राऊत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव के मामले में संजय राऊत को लिखित जबाव देने के लिए सात दिन का समय दिया गया है।उनका जवाब आने के बाद आगे की कारवाई होगी।