navin kumar | 22:18 (0 minutes ago) | ||
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महाराष्ट्र बजट अधिवेशन
विधान परिषद में संजय राऊत को गिरफ्तार करने की मांग उठी
नवीन कुमार
मुंबई (निर्भय पथिक)। उद्धव ठाकरे गुट के राज्यसभा सदस्य संजय राऊत के विधानमंडल को चोरमंडल कहने वाले वक्तव्य को लेकर आज बुधवार को विधान परिषद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच काफी नोंक झोक हुई। सत्ता पक्ष ने राऊत के खिलाफ हक्कभंग के अलावा उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की। इसके बाद विपक्ष ने भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के विपक्ष को देशद्रोही कहने वाले वक्तव्य पर घेरने की कोशिश की और उनके खिलाफ भी हक्कभंग की मांग की। इससे सदन में सियासी माहौल काफी गरम हो गया। इस पर उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे ने सभागृह के सदस्यों को समझाने की कोशिश की और सभागृह के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने का आग्रह किया। लेकिन दोनों पक्ष अपनी मांग पर डटे रहे। इसके बाद उपसभापति डॉ. गोर्हे ने आश्वासन दिया कि राऊत के खिलाफ हक्कभंग के मामले में गुरूवार की शाम तक फैसला लेने पर विचार किया जाएगा। लेकिन राऊत को गिरफ्तार करने का आदेश देने का अधिकार हमारे पास नहीं है। राऊत को गिरफ्तार करने के बारे में सत्ता पक्ष को उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मांग करनी चाहिए। इधर सभागृह का माहौल बिगड़ता देख उपसभापति डॉ. गोर्हे ने परिषद के कामकाज को पूरे दिनभर के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।
अधिवेशन का आज तीसरा दिन है। कल प्याज और कापुस के मुद्दे पर भी परिषद का कामकाज स्थगित हो गया था। आज कामकाज सुचारू रूप से चलने की उम्मीद थी। लेकिन सभागृह में राऊत के वक्तव्य पर सियासी माहौल गरमा गया। भाजपा के गटनेता प्रवीण दरेकर ने राज्यपाल के अभिभाषण पर अभिनंदन प्रस्ताव रखा। इसके बाद अनुमोदन देने के लिए भाजपा के सदस्य राम शिंदे बोलने लगे तो बीच में ही दरेकर ने राऊत के विधानमंडल को चोरमंडल कहने पर उनके खिलाफ हक्कभंग दाखिल करने की मांग की। तब विपक्ष भी हरकत में आया और माहौल गरमा गया। इससे सभागृह का कामकाज दो बार रोका गया। तीसरी बार सभागृह शुरू हुआ तो राऊत को गिरफ्तार करने की मांग की गई। इसके बाद विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने विपक्ष को देशद्रोही कहने पर मुख्यमंत्री पर कारवाई करने की मांग की। हालांकि, दानवे ने खुलासा किया कि वह राऊत के वक्तव्य का समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन उनके वक्तव्य की जांच होने के बाद कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही मुख्यमंत्री पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि, उन्होंने विपक्ष को देशद्रोही कहा है। मुख्यमंत्री की यह भूमिका स्पष्ट होनी चाहिए। दानवे ने कहा कि विपक्ष को मुख्यमंत्री के चायपान का बहिष्कार करने का संवैधानिक अधिकार है। सिर्फ इस बहिष्कार की वजह से विपक्ष को देशद्रोही कहना उचित नहीं है। विपक्ष को देशद्रोही कहने से विधानमंडल का अपमान हुआ है। यहां पर कौन देशद्रोही है। हम महबूबा मुफ्ती सईद के साथ नहीं बैठे हैं। दानवे ने मुख्यमंत्री शिंदे के खिलाफ हक्कभंग के प्रस्ताव का नोटिस उपसभापति को दिया है।
सभागृह में उपमुख्यमंत्री फडणवीस उपस्थित थे। उन्होंने भी राऊत के वक्तव्य की कड़ी आलोचना की और उनके खिलाफ हक्कभंग दाखिल करने पर जोर दिया। लेकिन उन्होंने राऊत को गिरफ्तार करने की मांग पर कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर सकते हैं। लेकिन संपूर्ण विधानमंडल को चोरमंडल कहना सही नहीं है। यहां पर चोरमंडल के साथ कौन काम कर रहा है। विधानमंडल के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जा सकती है। क्योंकि, विधानमंडल की अपनी गरिमा है। यह विधानमंडल यशवंतराव चव्हाण सरीखे कई महान नेताओं का साक्षी है। हमारे महाराष्ट्र राज्य का विधानमंडल देश में सर्वश्रेष्ठ विधानमंडलों में से एक है। अगर किसी को इस विधानमंडल को चोर कहने का अधिकार दिया जाता है तो लोगों को इस सदन पर विश्वास नहीं होगा। इसलिए राऊत के वक्तव्य का समर्थन नहीं किया जा सकता और विधानमंडल के खिलाफ इस तरह से बोलने पर हक्कभंग होता है। यह प्रश्न सत्ता पक्ष या विरोधी पक्ष का नहीं है। उद्धव ठाकरे भी इस विधानमंडल के सदस्य हैं तो वो भी चोरमंडल में हैं क्या। फडणवीस ने कहा कि राऊत ने चोरमंडल ही नहीं बल्कि गुंडामंडल शब्द का भी इस्तेमाल किया है। हम किस तरह के गुंडे हैं? फडणवीस ने उपसभापति से आग्रह किया कि वो विधानमंडल का अपमान करने वाले राऊत के मामले में अपना निर्णय दें और यह संदेश देना चाहिए कि विधानमंडल ऐसा नहीं है।