खरी-खरी
नहीं प्रेम का एक दिन, प्रेम करो हर रोज।
प्रेम शाश्वत भावना, यह जीवन की डोज़।।
यह जीवन की डोज़, रोज डे वेलेंटाइन ।
मन में उपजे प्रेम, वही दिन बनता फ़ाइन।।
जीव मात्र से प्रेम, हिंद सभ्यता सिखाती।
सब में ईश्वर तत्व, प्रेम की राह दिखाती।
अशोक वशिष्ठ