खरी-खरी
वक़्त न देखे जात-पाँत और वक़्त न देखे पैसा।’
हो ग़रीब-धनवान सभी को वक़्त मिले एक जैसा।
वही सफल जिसने पल-पल का मोल यहाँ पर जाना।
बीत गया पल हाथ न आये फिर पछताना कैसा।।
चला वक़्त के साथ वक़्त का मूल्य यहाँ जो जाना।
जैसा जिसका कर्म वक्त फल दे जैसे का तैसा।।
अशोक वशिष्ठ