खरी-खरी
संसद बनकर रह गयी, दंगल का मैदान।
काम तनिक होता नहीं, होते बहस-बयान।।
होते बहस-बयान, कार्यवाही रुक जाती।
नारेबाजी में , संसद की गरिमा जाती।।
नहीं देश से ऊँचा, कोई ओहदा कोई पद।
लोकतंत्र का मंदिर है, भारत की संसद। ।
अशोक वशिष्ठ
खरी-खरी
संसद बनकर रह गयी, दंगल का मैदान।
काम तनिक होता नहीं, होते बहस-बयान।।
होते बहस-बयान, कार्यवाही रुक जाती।
नारेबाजी में , संसद की गरिमा जाती।।
नहीं देश से ऊँचा, कोई ओहदा कोई पद।
लोकतंत्र का मंदिर है, भारत की संसद। ।
अशोक वशिष्ठ