Home राजनीति  पटोले व् थोरात के बीच रार में शिवसेना के कूदने से अघाड़ी में मचमच

पटोले व् थोरात के बीच रार में शिवसेना के कूदने से अघाड़ी में मचमच

by zadmin

पटोले व् थोरात के बीच रार में शिवसेना के कूदने से अघाड़ी में मचमच 

विशेष संवाददाता 

मुंबई:कांग्रेस नेता नाना पटोले ने विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा नहीं दिया होता आगे का जो पेंच प्रसंग था वह टाला जा सकता था . यह तर्क शिवसेना ठाकरे गुट के मुखपत्र ‘सामना’ के माध्यम से दिया गया। इस पर विभिन्न चर्चा जारी होने के दौरान कांग्रेस ने पलटवार किया है। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में प्रतिक्रिया दी है। लोंढे ने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले का विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बारे में की गयी टिप्पणी अनुचित  है। नाना पटोले  ने आनन फानन या जल्दबाजी में यह निर्णय नहीं लिया था। इस्तीफे का निर्णय कांग्रेस की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के सूचना  के अनुसार लिया था। आघाड़ी का धर्म पालन करते हुए मित्र पक्ष के निर्णय का शिवसेना को सम्मान करना  चाहिए। लोंढे ने कहा है कि कांग्रेस पक्ष में निर्णय की एक प्रक्रिया है। उसके अनुसार निर्णय लिया जाता है। पार्टी अध्यक्ष ने एक निर्णय लिया तो पार्टी के सभी लोग उसका मान रखते हैं और उसी अनुसार उस पर अमल किया जाता है। सोनिया गांधी ने उस समय की राजनीतिक परिस्थिति को देखते हुए पार्टी के हित  के लिए वह निर्णय लिया  था। लोंढे ने कहा सहयोगी दल के इस आरोप में कोई दम नहीं है कि नाना पटोले के इस्तीफे के बाद महाविकास आघाड़ी सरकार के सामने संकट का सिलसिला शुरू हो गया। अगर नाना पटोले विधानसभा अध्यक्ष बने रहते तो आघाड़ी सरकार के गिरने की घटना टल जाती। राजनीति में इस तरह के अगर- मगर जैसे सवालों का कोई मतलब नहीं है। यह कहना बिल्कुल सही नहीं है कि महाविकास अघाड़ी  सरकार के संकट में पड़ने का एकमात्र कारण नाना पटोले का विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना है। इसके और भी कई  कारण हो सकते हैं।प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को क्या निर्णय लेना चाहिए, यह पार्टी का आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के फैसले को गलत बताकर और सार्वजनिक तौर पर उसकी आलोचना करना महाविकास आघाडी के धर्म के अनुरूप नहीं है। ज्ञातव्य है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पटोले की कार्यप्रणाली से नाराज होकर कांग्रेस विधायक दल के नेता बाला साहेब थोरात ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद से पार्टी में पटोले के खिलाफ माहौल तैयार हो रहा है।  
शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के मुख्य प्रवक्ता व सांसद संजय राऊत ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पटोले पर हमला बोलते हुए कहा कि यदि पटोले विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर रहते तो अलग तस्वीर होती। राज्यपाल और विपक्षी दल ने सरकार गिराने की साजिश पहले से रची थी। पटोले के इस्तीफे ने उनका काम आसान कर दिया, क्योंकि पटोले के इस्तीफे के बाद राज्यपाल ने विधानसभा  अध्यक्ष का चुनाव नहीं होने दिया। पटोले के इस्तीफे  से विपक्ष को सरकार गिराने का मौका मिला। यदि पटोले ने विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दिया होता यह सरकार नहीं गिरती। वहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व  राकांपा  के वरिष्ठ नेता दिलीप वलसे पाटिल ने राऊत के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि यदि पटोले ने उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दिया होता तो जो कुछ हुआ वह नहीं होता। वहीं एक अन्य जानकारी के तहत बताया जाता है कि बालासाहेब थोरात के कांग्रेस विधायक दल पद से इस्तीफे देने के बाद महाराष्ट्र के नेता दिल्ली में सक्रिय हो गए हैं। कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री विजय वडेट्टीवार तथा पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के करीबी पूर्व विधायक अमर राजुरकर ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। वडेट्टीवार ने कहा कि इस सारे प्रकरण पर पार्टी की नजर है। पार्टी हाईकमान जल्द इस पर फैसला लेगा।

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