महाराष्ट्र कांग्रेस के अंतर्कलह का फायदा भाजपा को उपचुनावों में होगा
नवीन कुमार
मुंबई। महारष्ट्र कांग्रेस के अंतर्कलह का फायदा भाजपा को दो सीटों कसबा और पिंपरी चिंचवड पर होने वाले उपचुनावों में हो सकता है। यह माना जा रहा है कि इस अंतर्कलह के कारण पुराने कांग्रेसी सुधीर तांबे परिवार और विधिमंडल में कांग्रेस के नेता बालासाहब थोरात के समर्थक और कार्यकर्ता भाजपा के उम्मीदवारों के पक्ष में वोट दे सकते हैं। इससे महाविकास आघाड़ी को नुकसान हो सकता है। दूसरी ओर राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस अंतर्कलह का फायदा भाजपा को अगले लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में भी हो सकता है। शायद इसी स्थिति को भांपते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने थोरात को मनाने की भी कोशिश शुरू की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण ने विश्वास जताया है कि थोरात कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। लेकिन बीते दिनों विधान परिषद के स्नातक सीट के चुनाव में सत्यजीत तांबे की उम्मीदवारी को लेकर प्रदेश कांग्रेस के अंदर जिस तरह से राजनीति हुई और तांबे परिवार के साथ थोरात को बदनाम करने की कोशिश की गई उससे तांबे परिवार और थोरात न सिर्फ नाराज हैं बल्कि अब उनकी लड़ाई कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले को हटाने की है। सत्यजीत तांबे ने तो चुनाव जीतने के बाद अपने प्रेस कांफ्रेंस में खुलकर आरोप लगाया कि नौ दशक से ज्यादा कांग्रेस से जुड़े रहने वाले सुधीर तांबे परिवार को कांग्रेस से बाहर करने की राजनीति की गई और सत्यजीत के मामा थोरात को भी बदनाम करने की कोशिश की गई। इसमें अहम भूमिका प्रदेश अध्यक्ष पटोले ने निभाई है। पटोले ने सत्यजीत के सारे आरोपों को गलत बताया है। लेकिन थोरात ने पटोले के साथ काम करने के इनकार कर दिया है और उन्होंने केंद्रीय प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखा है और फैसला लेने का आग्रह भी किया है। यह चर्चा है कि थोरात ने विधिमंडल में कांग्रेस के नेता पद से इस्तीफा दे दिया है। फिलहाल उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया गया है। उनके पत्र पर विचार करने से पहले महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी एचके पाटील इस ताजा अंतर्कलह पर प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में फैसला ले सकते हैं। वैसे, केंद्रीय नेता ने पाटील को संकेत दिया है कि थोरात को मनाया जाए और उन्हें पार्टी से बाहर न जाने दिया जाए। वजह साफ है कि अगले साल महाराष्ट्र में लोकसभा के साथ विधानसभा के भी चुनाव होने वाले हैं और इसी महीने की 27 तारीख से महाराष्ट्र विधानसभा का बजट सत्र भी शुरू हो रहा है।
नाना पटोले के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से भाजपा को खासकर विदर्भ में काफी नुकसान पहुंचा है। इस बार भी विधान परिषद के चुनावों में नागपुर के साथ अमरावती की सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। इससे भाजपा में बौखलाहट है। इसलिए भाजपा की भी नजर महाविकास आघाड़ी गठबंधन पर है और उसके असंतुष्टों को भाजपा अपरोक्ष रूप से सहयोग भी कर रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने थोरात के मामले को कांग्रेस का अंदरूनी मामला बताया और यह भी कहा कि भाजपा के दरवाजे सबके लिए खुले हैं। नाशिक स्नातक सीट से चुनाव जीतने के बाद सत्यजीत ने प्रेस कांफ्रेंस में स्वीकार किया कि उनकी जीत में भाजपा के साथ सभी पार्टियों ने मदद की। लेकिन उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले पर तांबे परिवार और थोरात को बदनाम करने के साथ पार्टी के अंदर गंदी राजनीति करने का भी आरोप लगाया। वैसे, सत्यजीत ने अपक्ष उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता है और उन्होंने कहा कि वह सभी पार्टियों के साथ मिलकर अपने क्षेत्र और शिक्षकों के लिए काम करेंगे। सत्यजीत के प्रेस कांफ्रेंस के बाद ही थोरात के कांग्रेस के विधिमंडल के नेता पद से इस्तीफे भी खबर आई है। थोरात ने मीडिया में यही कहा है कि वह पार्टी प्रमुख के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। कांग्रेस के इस अंतर्कलह से महाविकास आघाड़ी में भी हलचल पैदा हो गई है। क्योंकि, अगर थोरात कांग्रेस से बाहर होते हैं तो प्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता उनके साथ बाहर हो सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस की हालत शिवसेना जैसी हो सकती है और लोकसभा एवं विधानसभा के चुनावों में भाजपा को महाविकास आघाड़ी से ज्यादा परेशानी नहीं होगी।