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पुणे में भाजपा पर ब्राह्मण नाराज़, जोरदार पोस्टरबाजी

by zadmin

पुणे में भाजपा पर ब्राह्मण नाराज़, जोरदार  पोस्टरबाजी 

विशेष संवाददाता

 मुंबई: कुलकर्णी का मतदार संघ गया , तिलक का गया, अब नंबर बापट का ?  समाज कब तक सहन करेगा। इस तरह का सवाल पूछते हुए पुणे में मराठी में बैनर लगाए गए हैं।  इससे भाजपा की आंतरिक कलह  खुलकर सामने आ गयी है.और पुणे के  ब्राम्हण  भाजपा से नाराज हैं यह साफ़ तौर पर दिख रहा है। बहुचर्चित कसबा पेठ  और चिंचवड़ विधानसभा के उपचुनाव के लिए भाजपा ने शनिवार को उम्मीदवार घोषित किये। कसबा पेठ से मुक्ता  तिलक के पति शैलेश तिलक को टिकट न देकर हेमंत रासने को टिकट दिया गया। जबकि चिंचवड़ में लक्ष्मण जगताप की पत्नी अश्विनी जगताप को भाजपा ने उम्मीदवार घोषित किया। कसबा पेठ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा की दिवंगत विधायक मुक्ता  तिलक के परिजन को उम्मीदवार नहीं बनाये जाने पर अनेक लोग नाराज़ हैं।  किसी जनप्रतिनिधि का निधन होने पर  उनके परिवार के सदस्य को उम्मीदवारी दिया जाना यह महाराष्ट्र की परंपरा रही है। चिंचवड़ में भाजपा ने परंपरा का निर्वाह किया लेकिन कसबा पेठ  में परंपरा का निर्वाह  नहीं किया। कसबा  पेठ  से भाजपा ने हेमंत रासने को उम्मीदवार घोषित  किया है। इसके पहले कोथरूड मतदार संघ में हुआ वही अब कसबा पेठ  मतदार संघ में हो रहा है, या कराया जा रहा है। दोनों जगह परिस्थिति अलग है फिर भी दोनों जगह ब्राम्हण उम्मीदवारों को भाजपा ने किनारे कर दिया यह साफ़ दिख रहा  है।    भाजपा नेता चंद्रकांत पाटिल के लिए सुरक्षित सीट चाहिए  थी इसलिए उस समय मेधा कुलकर्णी की राजनीतिक बलि ले ली गयी जो चंद्रकांत पाटिल इतने सालों से कोल्हापुर का प्रतिनिधित्व कर रहे थे  वे  उनका स्वयं का मतदार संघ क्यों तैयार नहीं कर पाये। ऐसा सवाल पुणे में भाजपा के साथ निष्ठां से जुड़े रहनेवाले ब्राम्हण समाज द्वारा पूछा जा रहा है। चंद्रकांत पाटिल के लिए सेफ सीट चाहिए थी ताकि वह निश्चित तौर पर विधायक चुनकर आये तो उनको डोम्बिवली की रविंद्र चव्हाण की सीट से भी चुनाव लड़ाया जा सकता था। लेकिन  कोथरूड मतदार संघ से मेधा  कुलकर्णी का टिकट काट कर  वह चंद्रकांत पाटिल को दिया गया ।  भाजपा के लिए चव्हाण से  ज्यादा सॉफ्ट  टारगेट कुलकर्णी थी। चव्हाण को धक्का लगाए होते तो मनी , मसल पावर ,वाले रविंद्र चव्हाण दूसरी राह  चुनी होती। इसलिए मेधा कुलकर्णी को आसानी से हटाकर  वह जगह चंद्रकांत पाटिल को दी गयी। उस समय भी पुणे  ब्राम्हण  समाज में इस कुटिल खेल पर तीव्र  नाराजगी व्याप्त हुई। कर्तत्ववान  ब्राम्हण उम्मीदवार को मीठा  बोलकर , पार्टी निष्ठां की बात कहकर उन्हें साइड करने का जो काम कोथरुड  में हुआ वही अब कसबा पेठ मतदार संघ में भी हुआ है।  चिंचवड़ और कसबा पेठ में उम्मीदवारी घोषित होने के पहले देवेंद्र फडणवीस और चंद्रकांत पाटिल ने मुक्ता  तिलक के परिजनों से मुलाकात की और दिवंगत  मुक्ता  तिलक के पति शैलेश तिलक और उनके बेटे को समझाया। तिलक परिवार में से एक की प्रवक्ता पद पर नियुक्ति की। अब तिलक परिवार में एक को प्रवक्ता बना देने के बाद  दूसरे को उम्मीदवारी कैसे दें। ऐसा कारण देते हुए तिलक परिवार  के सदस्य को टिकट देने से इंकार कर दिया गया। और कसबा पेठ  के हेमंत रासने को उम्मीदवारी दी गयी। जबकि चिंचवड़ में दिवंगत विधायक लक्ष्मण जगताप की पत्नी अश्विनी जगताप को उम्मीदवारी दी गयी। पहले कोथरुड मतदार संघ से चंद्रकांत पाटिल के लिए मेधा कुलकर्णी को साइड लाइन करने और अब मुक्ता  तिलक जैसे अत्यंत कर्तत्ववान   विधायक के  निधन के  बाद उनके परिवार के सदस्य को उम्मीदवारी नहीं देने से पुणे में ब्राम्हण समाज में भाजपा के प्रति तीव्र नाराजगी जताई जा रही है।  

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