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खरी-खरी:अशोक वशिष्ठ

by zadmin
vashishth

खरी-खरी
अब अमृत उद्यान में, सदा खिलेंगे फूल।

जो पहले की थी कभी, सुधर गयी वह भूल।।

सुधर गयी वह भूल, नयी आ रही रवानी।

भारतीयता झलके, अब है ऐसी ठानी।।

भारत की बढ़ रही है, विश्व पटल पर शान।

दिल्ली जाकर घूमिए, अब अमृत उद्यान।।
अशोक वशिष्ठ 

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