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कुमार बिहारी पांडे की कमी सहजता से नहीं भरी जा सकती

by zadmin

कुमार बिहारी पांडे की कमी सहजता से नहीं भरी जा सकती 

 संजीव शुक्ल  

मुंबई:  ”अस्मतें बेंच कर मैं तो  खुदा  के घर न जाऊंगा” यह लाइन लिखने वाले  कुमार बिहारी  पांडे का मुंबई में  13  जनवरी  को स्वर्गवास हो गया। उनके निधन से  समाज शोकाकुल है।  मेरे लिए तो यह जैसे निजी क्षति  है। मेरी कुमार बिहारी जी से पहली प्रत्यक्ष मुलाकात करीब 25  साल पहले हुई थी। मैं आदर्श रामलीला समिति का आजीवन सदस्य हूँ।  मैंने उस समय नवभारत से पत्रकारिता शुरू कर दी थी। मैं समाज  के लोगों से व्यक्तिगत रूप से  भी जुड़ा हुआ रहा हूँ । मैंने कुमार बिहारी पांडे जी से  फ़ोन पर बात की ,उन्होंने मुझे गोरेगांव स्थित सुनीता इंजीनियरिंग के कार्यालय में बुलाया।  मैं वहां पहुंचा तो उस समय आचार्य तुलसी शरण भी वहां दिखे। कुमार बिहारी जी ने चाय मंगाई उस दौरान बहुत संक्षेप में सामाजिक बातें होती रहीं।  मैंने चाय पी। उनका व्यवहार मुझे ठीक लगा था।  उसके बाद उनसे फोन पर बातें होती रहती थी। उन्होंने वसई  में ज़मीन ले रखी थी।  वहां पर उन्होंने कंपनी बनाने के लिए भूमिपूजन किया तो मुझे भी वहां आने के लिए कहा था।  इस दौरान उनकी आत्मकथा ‘अनुभवों का आकाश ” उन्होंने मुझे दी थी और मैंने उसको पढ़ा था। उसमें उनके शून्य से शिखर तक पहुँचने का वृतांत था। मैं उनकी आत्मकथा पढ़कर प्रभावित हुआ। अंधेरी के डॉ सूर्यनाथ दुबे जी मेरे  मित्र जैसे थे। उन्होंने  अपने निवास स्थान पर उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मंत्री प्रभा द्विवेदी  को  बुलाया था।  मुझे डॉ  दुबे जी ने कहा आपको आना  है ,मैं उनके अंधेरी के निवास स्थान पर पहुंचा । वहां  समाज की दर्जनों प्रतिष्ठित हस्तियां मौजूद थी। प्रभा द्विवेदी जी ने पूछा वह ( अनुभवों का आकाश  वाले ) नहीं आये  क्या। कुमार बिहारी  जी उस कार्यक्रम में नहीं  थे। मुझे भी उनका  वहां नहीं होना खला था। कुमार बिहारी की आत्मकथा बहुत अच्छे ढंग से लिखी गयी थी। कुमार बिहारी ने अपने वसई वाली कंपनी में भी मुझे कई बार  बुलाया था और मैं कई बार वहां गया भी था। इस दौरान कुमार बिहारी पांडे  के नाम से कई किताबें छपी थी उन्होंने वह किताबें मुझे दी भी थी ।  मैंने उनसे पूछा था  आप इतना अच्छा कैसे लिख लेते हो ? उन्होंने कहा सब माँ ”नारायणी ” करवा लेती हैं।  वह अपनी उपलब्धियों का श्रेय  नारायणी  यानी  लक्ष्मी जी को देते थे। उनकी वसई वाली कंपनी में  उन्होंने लक्ष्मी नारायण का मंदिर भी बनवाया है।  एक बार मुझे उस मंदिर में ले जाकर वहां पंडित से मुझे आशीर्वाद भी दिलवाया था। उनके  गोरेगांव  स्थित बंगले का नाम भी  लक्ष्मी नारायण है।  एक बार उन्होंने अपने बंगले पर डिनर के लिए भी  मुझे बुलाया था। उस समय जिस  चैनल में मैं कार्यरत था उसमें ‘नीति का राज’ कार्यक्रम का एंकर मैं था। उसकी डीवीडी थी उसको अपने हाल में लगे  टीवी  में लगाकर  देखा। वहां उनके परिवार के सदस्यों के साथ मैंने डिनर किया। एक बार मैं जब उनके वसई वाले ऑफिस में गया  था  तो देखा  नवभारत टाइम्स में छपा मेरा  लेख उन्होंने फोटो  फ्रेम में लगाकर दीवार से टांगा  हुआ था। दरअसल उस समय नवभारत टाइम्स में था  मैं उनसे लम्बे अरसे से  न बात हुई  न ही मिल पाया था इस बीच ऐसा आर्टिकल भी मेरा छपा जिसमें उनका उल्लेख था। मुझे संदेश मिला कि  वह मुझे याद कर रहे थे । कहा गया  उनसे  मिल तो लो।  मैं फुर्सत के दिन वसई वाले ऑफिस में गया उनसे मुलाकात के बाद मैं चलने लगा तो  बोले चलो मैं छोड़ दूंगा और रास्ते में जाते समय एक होटल में खाना खाने के लिए रुके, बोले क्या  खाओगे  मैं शुद्ध शाकाहारी  हूँ मैंने कहा तंदूरी रोटी और चना मसाला।   कुमार बिहारी का  जन्म दिन7 मार्च को पड़ता था।   मैं उन्हें फोन पर शुभकामनायें दे देता था।  एक  बार फ़ोन करने पर वह  बताये कि  अपने मूल निवास बिहार के सिवान में हैं और स्कूल बनवा रहे हैं । उनको फ़ोन करो और वह नहीं उठा पाए तो वह ‘काल बैक ‘ करते थे।  उनके लिखे गीतों को रिकॉर्ड करके उसकी सीडी भी रिलीज़ की गयी, तब भी उन्होंने मुझे बुलाया था और मैं वहां गया था ।  वह कार्यक्रम भी बहुत अच्छा हुआ। इस कार्यक्रम में विश्वनाथ सचदेव भी आये थे।  एक बार जन्म दिन पर बधाई देने के लिए मैंने  फ़ोन किया तो उन्होंने कहा कि शाम को वेस्टिन होटल में आपको आना है।  मैं उनके उस जन्म दिन पर वहां गया तो होटल के ग्राउंड फ्लोर पर सैकड़ों की संख्या में प्रतीष्ठित हस्तियां मौजूद थी। रामानंद तिवारी भी उस कार्यक्रम  में आये थे। इलियट जी भी उसमें आये थे।  इलियट जी को  कुमार बिहारी पांडे  बहुत मानते थे। ‘ अनुभवों के आकाश ‘ किताब में भी इलियट और सागर त्रिपाठी जैसे उनके करीबियों का उल्लेख है।  उनकी लिखी हुई लाइन है ” बात छोड़ जाये अपना असर , बात को मंतर बनाना सीख लो ” ।  कुमार बिहारी पांडे जी का 88 वर्ष की उम्र में स्वर्गवास हो गया।  भगवान् उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।  दुःख की इस घड़ी में मैं उनके परिजनों के साथ शामिल हूँ।  

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