मुंबई: कोविड सेंटर चलाने के लिए महानगरपालिका को फर्जी दस्तावेजों के जरिये टेंडर हासिल करने के आरोप में एक हेल्थकेयर कंपनी के खिलाफ मरीन लाइंस पुलिस स्टेशन में गुरुवार को मामला दर्ज किया गया है.इसमें दो लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में मामला दर्ज किया गया है जिसमें संदीप गुप्ता और योगेश उल्ले के नामों का समावेश है. पुलिस के अनुसार दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468 और 471 के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी से संबंधित मामला दर्ज किया गया है।
इसी तरह का मामला पहले भी सामने आया है
बता दें कि इससे पहले 13 जनवरी को, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले की जांच शुरू की थी, जिसमें पिछले साल अगस्त में, मुंबई पुलिस ने एक अस्पताल प्रबंधन फर्म और चार व्यक्तियों के खिलाफ कथित रूप से COVID-19 केंद्र की देखभाल के लिए अनुबंध प्राप्त करने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी।
मनपा को यदि की नोटिस
सूत्रों ने शुक्रवार को दावा किया कि एजेंसी के अधिकारियों ने कथित तौर पर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को मामले से संबंधित विवरण मांगने के लिए एक संचार भेजा है। सूत्रों ने बताया कि ईडी अधिकारी सोमवार को बीएमसी के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ कर सकते हैं।
पिछले साल ही दर्ज हुई थी एफआईआर
भाजपा नेता किरीट सोमैया की शिकायत के आधार पर आजाद मैदान थाने में पिछले वर्ष प्राथमिकी दर्ज की गई थी.जिसमें मेसर्स लाइफलाइन अस्पताल प्रबंधन सेवा फर्म, डॉ हेमंत रामशरण गुप्ता, सुजीत मुकुंद पाटकर, संजय मदनलाल शाह और राजू नंदकुमार सालुंके के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इसमें श्री सोमैया ने आरोप लगाया था कि इन लोगों ने नकली दस्तावेजों की मदद से COVID-19 केंद्रों से अनुबंध प्राप्त करने के लिए मुंबई महानगरपालिका को धोखा दिया।
प्राथमिकी के अनुसार, जून 2020 में, अस्पताल प्रबंधन फर्म के भागीदारों ने बृहन्मुंबई नगर पालिका में एक कथित फर्जी साझेदारी डीड जमा की और एनएसईएल, वर्ली, मुलुंड, दहिसर (मुंबई में) और पुणे। में जंबो कोविड-19 केंद्रों के लिए अनुबंध प्राप्त किया। वह भी बिना किसी चिकित्सा क्षेत्र में अनुभव के ।फर्म ने इन केंद्रों के बिल मनपा को सौंपे थे और 38 करोड़ रुपये वसूले थे। प्राथमिकी में कहा गया है कि इन व्यक्तियों की कथित लापरवाही के कारण कई लोगों की जान चली गई।
प्राथमिकी में कहा गया है कि सत्यापन के बाद यह पाया गया कि इन कोविड-19 केंद्रों के कर्मचारियों और डॉक्टरों के पास चिकित्सा प्रमाण पत्र नहीं थे और कथित तौर पर उचित उपचार प्रदान करने में विफल रहे, जिसके कारण लोगों को परेशानी हुई।
भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (विश्वास का आपराधिक उल्लंघन), 304-ए (लापरवाही से मौत), 465, 467, 468, 471 (सभी जालसाजी के लिए) और 34 (सामान्य इरादे) के तहत मामला दर्ज किया गया था। अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच जारी है।