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जन प्रतिनिधियों की मनमानी से राज्य से बाहर गया निवेश-अजित पवार

by zadmin

जन प्रतिनिधियों की मनमानी से राज्य से बाहर गया निवेश-अजित पवार 

 संजीव शुक्ल 

नागपुर:  महाराष्ट्र  में निवेश  करने की तैयारी दिखाने वाली  कई कंपनियां राज्य के बाहर चली गयी इसके लिए यहाँ ‘प्रोटेक्शन मनी या हिस्सेदारी मांगने की वजह रही जब विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार से ‘सुयोग’ में यह पूछा गया तो उन्होंने कहा यह  सौ फीसदी सच है। जो प्रोजेक्ट जिस जगह पर लगाया जाना होता था वहां के स्थानीय विधायक,सांसद  शर्तें रखते थे  वह यह कहते थे कि इस कंपनी में सफाई कर्मी , टेक्नीशियन हमारे मुताबिक लीजिये।  निर्माण कार्य के लिए रेती और पत्थर हमारे पास से  लेना पड़ेगा। इस तरह की  अनेक शिकायतें प्राप्त हुई।  जिस जनप्रतिनिधि के मनमानी रवैये के कारण परियोजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हो पाता और उद्योग धंधे लगाने में रुकावट डालते हैं और उद्यम  नहीं लग पाते उन्हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराना चाहिए और उनके खिलाफ पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए। यह बात  राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार सुयोग में  मंगलवार  की सुबह को पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत करते समय कही.  विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा कि एकनाथ शिंदे सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री के पास कई महकमे हैं। वह छह जिले के पालक मंत्री हैं। शिवसेना ( शिंदे गुट ) का कोई भविष्य नहीं है। उनके साथ  गए कुछ लोग भाजपा में चले जाएंगे कुछ लोग उद्धव ठाकरे के पास वापस चले जायेंगें। उन्होंने नारायण राणे का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके साथ कितने लोग रह गए। वह शिवसेना से कांग्रेस और बाद में भाजपा गए तो उनके साथ  कालिदास कोलंबकर और उनके बेटे ही रह गए।  स्वयं नारायण राणे कांग्रेस से  जब बांद्रा से विधानसभा  चुनाव लड़े थे तो वह  चुनाव हार गए थे।  उनके बेटे  निलेश राणे लोकसभा का चुनाव हार गए थे ।  कालिदास कोलंबकर का अपना स्वयं का वज़ूद रहा इसलिए वह जहाँ गए विधानसभा का चुनाव जीतते रहे।  

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