निरंकारी संत ब्रह्मर्षि शंकर दत्त जोशी ब्रह्मलीन
मुंबई,: संत निरंकारी मिशन के बुजुर्ग संत ब्रह्मर्षि शंकर दत्त जोशी का 21 दिसंबर, की शाम को वृद्धावस्था में निधन हो गया. वह 94 वर्ष के थे. श्री जोशी अपने पीछे उनके पश्चात उनके तीन पुत्र, एक पुत्री, तीन पुत्रवधू, पोते, पोतियां एवं प्रपौत्र सहित एक बड़ा परिवार छोड़ गए हैं. उत्तराखंड निवासी श्री जोशी 1948 में से मुंबई आये थे. यहाँ उनका परिचय संत निरंकारी मिशन से हो गया | मुंबई एवं महाराष्ट्र में संत निरंकारी मिशन की आध्यात्मिक लहर को फैलाने वाले प्रारंभिक संतों में से वे एक अग्रणी संत थें | ब्रह्मज्ञान के प्राप्ति के बाद आपने सत्य के प्रचार के लिए अपना जीवन समर्पित किया | इसके अतिरिक्त मुंबई के चेंबूर सत्संग भवन में स्थित संत निरंकारी मंडल के लेखा-जोखा कार्यालय में सालों साल अपनी निष्काम सेवायें अर्पित की. संत निरंकारी मण्डल के घाटकोपर सेक्टर के सेक्टर संयोजक के रूप में आप अपने अंतिम समय तक सेवायें निभाते रहे | श्री जोशी के संतत्व युक्त जीवन को देखते हुए वर्ष 1987 में विश्व धर्म संसद ने उन्हें ‘ब्रह्मर्षि’ की पदवी से अलंकृत किया था. उनकी स्मृति में आज घाटकोपर के सरस्वती विद्यालय में शाम 6.30से 9 बजे तक श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया है.