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कविता सुरेश मिश्र की

by zadmin

देर न हो जाए कहीं देर न हो जाए
🙉🙈🙊🙉🙈🙊🙉🙈

करे सनातन की जो खिल्ली,
गाड़ रहे भगवा में किल्ली,

आस्था से खिलवाड़ कर रहे ,
अभिव्यक्ति की आड़ कर रहे,

फिल्मों का एजेंडा देखो,
इनके प्रोपोगंडा देखो,

हिंदू की परिभाषा देखो,
हर दिन करें तमाशा देखो,

सोए हैं सब भगवा धारी,
वरना बन जाते तरकारी,

कभी लालसिंह चड्ढा देखो,
अब पठान का गड्ढा देखो,

हिंदू आस्था सिसक रही है,
डोर धैर्य की खिसक रही है,

पहले खल विवाद करते हैं,
फिर अपनी झोली भरते हैं,

कोई फिल्म बनाकर लूटे,
कोई चित्र बनाकर कूटे,

कभी खुदा पर भी कुछ बोलो,
तुम ईसा मसीह को तोलो,

हिंदू पर फायर होता है,
क्योंकि ये कायर होता है,

निर्माता कुछ काटे जाते,
तब हिंदुत्व न चांटे पाते,

हीरो सब आपे में रहते,
भगवा को बेशर्म न कहते,

बहुत हुआ,समझाना होगा,
अपना फर्ज निभाना होगा,

हिंदू रिपु जितने निर्माता,
सबको सबक सिखाना होगा।

सुरेश मिश्र

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