महाराष्ट्र में डेढ़ करोड लोग हैं गरीबी रेखा के नीचे-नीति आयोग
मुंबई: नीति आयोग द्वारा घोषित की गई गरीबी के निर्देशांक में महाराष्ट्र के ग्रामीण भागों में 14.9 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं, वहीं केरल में गरीबी रेखा के नीचे 0.71 फीसदी लोग हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में कुल 36 लाख 11 हजार 258 परिवार गरीबी रेखा के नीचे जी रहे हैं। इन परिवारों में रहनेवाले कुल सदस्यों की संख्या मिलाकर एक करोड़ 54 लाख 45 हजार 32 है, जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।
ठाणे में 1,64,636 , रायगढ़ में 1,0,3093 , पुणे में 87,040 , रत्नागिरी 83,743 , सातारा में 7263 , सोलापुर में 1,22,286 , सांगली में 79450 , सिंधुदुर्ग में 32,731 , कोल्हापुर में1,10,240 , जालना में 1,27,369 , नागपुर में47,061 , जलगांव में 1,75,577 , धुले में1,72,222 नंदूरबार में 2,36,008 , नगर में1,83,034 , नादेड़ में 2,31,337 परभणी में 1,07,036 , बीड़ में 60887 , लातूर में 1,00894 , वाशिम में 66,471 इस प्रकार राज्य के सभी जिलों में कुल 3,61,1258 परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।
गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना शुरू की गई है। इसके तहत हर राज्यों में मजदूरी प्रतिदिन के लिए निश्चित की गई है। महाराष्ट्र में मनरेगा के तहत करीब 238 रुपए प्रतिदिन मजदूरी दी जाती है। इसी प्रकार गुजरात में 224 , हरियाणा में 309 , उत्तर प्रदेश में 201 सहित अन्य राज्यों में मनरेगा के तहत मजदूरी दी जाती है ताकि गरीबी को दूर किया जा सके। लेकिन मनरेगा योजना भी गरीबी दूर करने में कारगर साबित नहीं हो रही है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी महात्मा गांधी नरेगा, अकुशल श्रम कार्य करने के लिए इच्छुक वयस्क सदस्यों वाले प्रत्येक परिवार को एक वित्तीय साल में कम से कम 100 दिनों की रोजगार की गारंटी देकर देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा बढ़ाने की व्यवस्था करने वाला अधिनियम है।