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खरी-खरी:अशोक वशिष्ठ

by zadmin
vashishth

खरी-खरी
गाँव में होगा ठंडा दिन, ठंडी होगी रात।

मौसम रहे सुहाना, जाड़े की पायी सौगात।।

किंतु यहाँ मायानगरी में, पड़े ज़ोर की गर्मी।

महानगर के लिए बना है, मौसम यह हठधर्मी।।

अब तो कुछ राहत दे दो, प्रभु ठंडे हों दिन-रैन।

तन को मिले सुकून, और मनवा भी पाये चैन।।
अशोक वशिष्ठ 

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