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खरी-खरी:अशोक वशिष्ठ

by zadmin
vashishth

खरी-खरी
टूट गया गुजरात में, एक पुल अकस्मात।

दुखदायी यह हादसा, दुखदायी वह रात।।

दुखदायी वह रात , हुई है लापरवाही।

जहाँ सैकड़ों निर्दोषों , ने जान गंवायी।।

गहन जाँच हो जाय, कौन है इसका दोषी।

सख़्त सज़ा हो टूटे, शासन की मदहोशी।।
अशोक वशिष्ठ 

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