Home समसमायिकीप्रसंगवश चुनाव के पूर्व नेताओं को सपने क्यों आते हैं ?

चुनाव के पूर्व नेताओं को सपने क्यों आते हैं ?

by zadmin

चुनाव के पूर्व नेताओं को सपने क्यों आते है ?

 अशोक भाटिया

दिल्ली के मुख्यमंत्री  अरविंद केजरीवाल  की मांग है कि  देश को विकसित बनाने के लिए भारतीय नोटों पर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीरें  छापी जाएं । उनका कहना है कि देवी देवताओं का आशीर्वाद मिले तो प्रयास फलीभूत होते हैं। केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री से मेरी अपील है कि भारतीय करेंसी के ऊपर गणेश और लक्ष्मी जी की तस्वीर लगाई जाए। नोट पर दूसरी ओर गांधी जी की जो तस्वीर है उसे वैसे ही रहने दिया जाए। अरविंद केजरीवाल का कहना है कि लक्ष्मी को समृद्धि की देवी माना गया है और गणेश विघ्नों को हरने वाले देवता माने जाते हैं, इसलिए इन दोनों की तस्वीर भारतीय नोटों पर लगनी चाहिए। केजरीवाल ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि दोबारा से सभी नए नोट छापे जाएं, लेकिन जो हर महीने नए नोट छपते हैं उन नए नोटों के ऊपर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर छापी जानी चाहिए और धीरे-धीरे करते हुए काफी मात्रा में लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर वाले नोट आ जाएंगे। अरविंद केजरीवाल का कहना है कि लक्ष्मी को समृद्धि की देवी माना गया है और गणेश विघ्नों को हरने वाले देवता माने जाते हैं, इसलिए इन दोनों की तस्वीर भारतीय नोटों पर लगनी चाहिए। केजरीवाल ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि दोबारा से सभी नए नोट छापे जाएं, लेकिन जो हर महीने नए नोट छपते हैं उन नए नोटों के ऊपर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर छापी जानी चाहिए और धीरे-धीरे करते हुए काफी मात्रा में लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर वाले नोट आ जाएंगे   ।

गौरतलब है कि अंग्रेजों से भारत की आजादी के 75 साल बाद कोई राजनेता भारत को कंगाली से निजात दिलाने के बोध (सूत्र) का पता नहीं लगा पाया। ना जाने कितने नेता आए और चले गए। ना जाने कितने चुनाव हुए, आंदोलन हुए और कंगाली से निजात दिलाने के लिए ही नरसंहार भी दिखते हैं। बावजूद अब तक भारत के माथे से- मैं सांप बिच्छुओं का देश हूं, मैं महा कंगाल हूं और मैं कभी विकसित नहीं हो सकता, यह लिखा मिटाने के लिए 75 साल भी पर्याप्त साबित नहीं हुए अभी तक। हालांकि दीपावली पर गणेश-लक्ष्मी की पूजा के बहाने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भारत की कंगाली के रहस्यों और उससे निजात पाने के सबसे आसान रास्ते का पता लगा लिया। जो काम बड़े-बड़े अर्थशास्त्री और राजनीतिक सूरमा नहीं कर पाए थे, उसे एक ‘अपूर्ण’ राज्य के मुख्यमंत्री शायद संभव बनाते नजर आ रहे हैं। उन्होंने मात्र दस साल की राजनीतिक तपस्या में भारत को अविकसित से विकसित और खुशहाल देश बनाने का सूत्र पा लिया है।

केजरीवाल ने खुद बताया कि उन्हें यह ज्ञान (केजरीवालत्व) गणेश-लक्ष्मी पूजन के दौरान मिला। पूजन के दौरान निश्चित ही केजरीवाल की पत्नी सुनीता ने खीर चढ़ाई होगी। दिवाली की अगली सुबह केजरीवाल ने खीर खाया भी होगा प्रसाद के रूप में। दिवाली से पहले पटाखों पर बैन लगाने की इच्छा रखने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री का मन बदल गया और ‘केजरीवालत्व’ की प्राप्ति हुई। हो सकता है कि दिल्ली सीएम को जो ज्ञान मिला है वह खीर का ही प्रताप हो।

दुनिया है, वह तो कुछ भी कहती रहेगी। मगर अखिलेश यादव (सपने में कृष्ण आए थे) और तेजप्रताप यादव (साईं बाबा ने सपने में भभूत भेंट की थी) के बाद केजरीवाल ने ईश्वर और आत्मा से संवाद के बाद नोटों पर महात्मा गांधी के साथ गणेश-लक्ष्मी की फोटो देखने की लालसा के साथ साफ़ कर दिया कि वही असली ‘हिंदू हृदय सम्राट’ हैं। बाकी सब मिथ्या। चूंकि गुजरात में चुनाव है- तमाम मंदिरों में सालों से दर-दर भटक रहे राहुल गांधी मौका चूकने का अफ़सोस जता सकते हैं। क्या गुजरात चुनाव से पहले उनकी भक्ति में कुछ कमी रह गई थी? आखिर, राहुल गांधी की तपस्या में क्या कमियां हैं जो देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के पास दिव्य शक्तियां संवाद करने नहीं आ रही हैं। जैसे अखिलेश से केजरीवाल तक संवाद दिख रहा है।

आज की तारीख में तेजप्रताप यादव तक दिव्य आत्माओं से संवाद में सक्षम हैं तो फिर राहुल क्यों ईश्वर और आत्मा से संवाद की तारतम्यता नहीं बना पा रहे? कोई बात नहीं कि जनता से उनका संवाद सालों से नहीं हो रहा। और नतीजन उन्हें अनगिनत पराजयों का सामना करना पड़ रहा है। यह शायद उसी का नतीजा है कि उन्हें मजबूरी में थकाऊ पदयात्रा भी निकालनी पड़ रही है। बाकी लोग तो दिव्य संवाद कर बिना व्यर्थ का श्रम किए और घरबैठे, अपना काम निकाल ले जा रहे हैं। जहां तक बात मोदी की है वे अनंत तीर्थयात्राओं पर निकले नजर आते हैं। वह तो सबके वश की बात नहीं।

अशोक भाटिया

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