खरी-खरी
बाजीगर पायलट हैं, जादूगर गहलोत।
कुर्सी की खातिर लड़ें, जैसे लड़तीं सौत।।
जैसे लड़तीं सौत, मची है खींचातानी।
एक युवा उत्साह , दूसरा खूसट ज्ञानी।।
मंजे हुए गहलोत, काटते जाते बाजी।
बाजीगर पायलट, नहीं कुर्सी बिन राजी।।
अशोक वशिष्ठ
खरी-खरी
बाजीगर पायलट हैं, जादूगर गहलोत।
कुर्सी की खातिर लड़ें, जैसे लड़तीं सौत।।
जैसे लड़तीं सौत, मची है खींचातानी।
एक युवा उत्साह , दूसरा खूसट ज्ञानी।।
मंजे हुए गहलोत, काटते जाते बाजी।
बाजीगर पायलट, नहीं कुर्सी बिन राजी।।
अशोक वशिष्ठ