खरी-खरी
शुभ धनतेरस आ गयी, दिवस आज शनिवार।
हर द्वारे तोरण बंधे, दीप जले हर द्वार।।
दीप जले हर द्वार, सजे हर द्वार रंगोली।।
धन की हो बौछार, भरे सब की ही झोली।।
भूखा और लाचार, रहे नहिं कोई बेबस।
सब जन होवें सुखी, मनायें शुभ धनतेरस।।
अशोक वशिष्ठ
खरी-खरी
शुभ धनतेरस आ गयी, दिवस आज शनिवार।
हर द्वारे तोरण बंधे, दीप जले हर द्वार।।
दीप जले हर द्वार, सजे हर द्वार रंगोली।।
धन की हो बौछार, भरे सब की ही झोली।।
भूखा और लाचार, रहे नहिं कोई बेबस।
सब जन होवें सुखी, मनायें शुभ धनतेरस।।
अशोक वशिष्ठ