खरी-खरी
देखो कैसा हो गया, काँग्रेस का हाल।
लीटर में बिकने लगे, आटा-चावल-दाल।।
आटा-चावल-दाल, बदलकर माप रख दिया।
इसीलिए चहुँ ओर, हार का स्वाद चख लिया।।
सत्ता के लालच में, इतना भी मत बहको।
जनता खिल्ली उड़ा रही है, यह तो देखो।।
अशोक वशिष्ठ
खरी-खरी
देखो कैसा हो गया, काँग्रेस का हाल।
लीटर में बिकने लगे, आटा-चावल-दाल।।
आटा-चावल-दाल, बदलकर माप रख दिया।
इसीलिए चहुँ ओर, हार का स्वाद चख लिया।।
सत्ता के लालच में, इतना भी मत बहको।
जनता खिल्ली उड़ा रही है, यह तो देखो।।
अशोक वशिष्ठ