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महाराष्ट्र विधानमंडल : दही हांडी को खेल का दर्जा

by zadmin

महाराष्ट्र विधानमंडल :दही हांडी को खेल का दर्जा

नवीन कुमार

मुंबई। महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र के दूसरे दिन भी विपक्ष ने हंगामे वाले तेवर दिखाए लेकिन कुछ मुद्दों पर सरकार के सकारात्मक रवैए से माहौल अच्छा रहा। दूसरे दिन भी विपक्ष ने विधानमंडल की सीढ़ियों पर नारेबाजी की। बाद में, विधानसभा में शिवसेना विधायक भास्कर जाधव और भाजपा विधायक नितेश राणे के बीच थोड़ी बहस भी हुई जबकि उस दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जा रही थी। दूसरे दिन की सबसे महत्वपूर्ण घटना दही हांडी को एक खेल के रूप में दर्जा देने की घोषणा थी। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन का कामकाज साढ़े पांच बजे स्थगित करने की घोषणा की।

गोकुल अष्टमी के उपलक्ष्य में राज्य सरकार की ओर से आज विधानसभा में गोविंदा के लिए अहम ऐलान किया गया। मुख्यमंत्री शिंदे ने दही हांडी को खेल का दर्जा देने की घोषणा की है। अब गोविंदा को राज्य सरकार द्वारा खिलाड़ियों को दी जाने वाली नौकरियों में पांच प्रतिशत आरक्षण का लाभ भी मिलेगा। राज्य सरकार ने दही हांडी उत्सव में गोविंदा को बीमा कवर प्रदान करने का निर्णय लिया है। मृत्यु होने पर 10 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। गंभीर रूप से घायल लोगों को साढ़े सात लाख रुपये और हाथ-पैर टूटने पर 5 लाख रुपये की सहायता मिलेगी।

विधानसभा सत्र की शुरुआत विपक्ष के हंगामे के साथ हुई। सत्ताधारी नेताओं की ओर इशारा करते हुए विपक्ष ने आज एक बार फिर विधानमंडल की सीढ़ियों पर ’50 पेटी ठीक है’ के नारे लगाए।

मुंबई-गोवा हाईवे के काम को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की नाकामी पर सवाल उठाया गया। यह सवाल विधायक भास्कर जाधव उठाया। इस पर काफी हंगामा हुआ। इसके बाद भाजपा ने शिवसेना विधायकों से सवाल किया कि क्या ढाई साल में मुंबई-गोवा हाईवे पर कोई काम नहीं हुआ? इस पर विधायक भास्कर जाधव ने सवाल किया कि क्या यह पिछले 12 वर्षों में चंद्रकांत दादा और नितिन गडकरी की विफलता है।

विधानसभा में पालघर में बच्चों की मौत पर भी सवाल उठाया गया। इस मामले पर विपक्ष के नेता अजित पवार ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में बच्चों की मौत शर्मनाक है। पालघर के एक आदिवासी गांव की एक महिला को सुविधाओं की कमी के कारण अपने जुड़वां बच्चों को खोना पड़ा। इस मुददे पर विपक्ष के नेता पवार ने सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह शर्म की बात है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में बच्चों की मौत हो रही है। साथ ही पवार ने कहा कि मैं मांग करता हूं कि सरकार को जवाब देना चाहिए कि क्या एक साल के भीतर आदिवासी क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान हो जाएगा और दुर्भाग्य का दुष्चक्र बंद हो जाएगा। इस पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जवाब देचे हुए कहा कि तत्काल उपाय किए जाएंगे। शिंदे ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में सड़कों और पुलों पर व्यापक विचार कर तत्काल कदम उठाए जाएंगे ताकि आदिवासी बहन या उसके बच्चे की दोबारा मौत न हो।

विपक्ष के नेता पवार ने किसान आत्महत्या का भी मामला उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य में रोज लगभग तीन किसान आत्महत्या कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिंदे के शपथ ग्रहण लेने के बाद 45 दिनों में 137 किसानों ने आत्महत्या की। इन किसानों की विधवा क्या करेगी, यह सवाल पवार ने उठाया और सरकार से इस पर जवाब देने का कहा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री से मिले या वित्त मंत्री, लेकिन किसानों की आत्महत्या थमनी चाहिए।

एनसीपी विधायक छगन भुजबल ने स्कूली किताबों पर जीएसटी का मुद्दा उठाते हुए राज्य सरकार को घेरने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि आपने भाषण पर जीएसटी नहीं लगाया। नहीं तो एक मिनट बात करेंगे तो जीएसटी लग जाएगा। हमने अखबार में पढ़ा कि फडणवीस का कद बढ़ गया है, उन्हें केंद्र में किसी समिति में नियुक्त किया गया है। भुजबल ने कहा कि बस वहां जाओ और उनसे कहो कि वे खाद्यान्न पर जीएसटी न लगाएं।

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