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खरी-खरी:अशोक वशिष्ठ

by zadmin

खरी-खरी:अशोक वशिष्ठ 

महाराष्ट्र तो मिल गया , छूटा मगर बिहार।

जाय भतीजे से मिले, चचा नीतीश कुमार।।

चचा नीतीश कुमार, बीच में दे गये धोका।

राजनीति में मौका, देख मार गये चौका।।

कुर्सी की खातिर, नेता बनते हरजाई।

देख-देख करतूत, सदा गिरगिट शर्माई।।
अशोक वशिष्ठ 

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