वनवासी कल्याण आश्रम ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी
श्रीकेश चौबे
कल्याण,23 जुलाई: आजादी के बाद पहली बार द्रौपदी मुर्मू जैसी निपुण आदिवासी महिला को भारत का सर्वोच्च संवैधानिक पद मिला है। यह देश में 12 करोड़ आदिवासी समुदाय के लिए बहुत ही गौरवशाली ऐतिहासिक घटना है। द्रौपदी मुर्मू के देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने पर वनवासी कल्याण आश्रम ने ख़ुशी जताई है.इसके लिए आश्रम ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग , सभी राजनीतिक दलों और जन प्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त किया है. बता दें कि भारत की प्राचीन परंपरा और संयुक्त संस्कृति को बढ़ाने में संपूर्ण आदिवासी समुदाय का अमूल्य योगदान है। देश के स्वतंत्रता संग्राम में अनगिनत ‘आदिवासी क्रांतिकारियों’ ने सर्वोच्च बलिदान देनेवालों में पहले भगवान बिरसा मुंडा, तांत्या मामा भील, नग्य कातकरी, राघोजी भांगरे आदि का समावेश है. कल्याण आश्रम का मानना है कि द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति चुने जाने से भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपराएं और अधिक एकजुट और मजबूत होंगी।अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम जनजातीय समाज के कल्याण व उनके सतत विकास पर ध्यान देने वाला सबसे बड़ा “आदिवासी संगठन” है। इस निर्णय से समस्त संस्थाअधिकारी, शहरी और वन क्षेत्रों में काम करने वाले हजारों कार्यकर्ता बेहद खुश हैं। वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष थमताई पवार ने उन सभी का धन्यवाद किया जिन्होंने आदिवासी समाज के प्रति अपना समर्थन दिया है.