खरी-खरी
और नहीं तो बन गया, अब मुद्दा ही शेर।
बहस शुरू हो ही गयी, तनिक न लागी देर।।
तनिक न लागी देर, खुला है मुँह क्यों इतना।
यह लगता खूंखार, न पहले वाला जितना।।
शेर शेर होता सदा, करिये इस पर गौर।
मुँह कम या ज्यादा खुला, अर्थ न लीजे और।।
अशोक वशिष्ठ