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खरी-खरी:अशोक वशिष्ठ

by zadmin
vashishth

खरी-खरी
दुख आने पर यूँ लगे, आन गिरी ज्यों गाज।

सुख मीठा निर्झर लगे, जैसे राग खमाज।।

निज कर्मों से कीजिए, किस्मत का निर्माण। 

कर्मठता से मनुज का , होता है कल्याण।।

निश्चित होता कर्मफल, जस बोया तस काट।

कर्महीन को भाग्य के, रहते बंद कपाट ।।
☆अशोक वशिष्ठ

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