●खरी-खरी
दुख आने पर यूँ लगे, आन गिरी ज्यों गाज।
सुख मीठा निर्झर लगे, जैसे राग खमाज।।
निज कर्मों से कीजिए, किस्मत का निर्माण।
कर्मठता से मनुज का , होता है कल्याण।।
निश्चित होता कर्मफल, जस बोया तस काट।
कर्महीन को भाग्य के, रहते बंद कपाट ।।
☆अशोक वशिष्ठ