दिल्ली पुनः दहाड़ती,सुलगे मालेगांव
गरम तवे पर सेंकते,ससुरे अपना दांव
ससुरे अपना दांव,देश चाहे जल जाए
संविधान-सरियत,में ऊपर कौन बताए
कह सुरेश मत लो रे लोकतंत्र की खिल्ली
बेशर्मों को इतनी छूट न दे रे दिल्ली
सुरेश मिश्र
दिल्ली पुनः दहाड़ती,सुलगे मालेगांव
गरम तवे पर सेंकते,ससुरे अपना दांव
ससुरे अपना दांव,देश चाहे जल जाए
संविधान-सरियत,में ऊपर कौन बताए
कह सुरेश मत लो रे लोकतंत्र की खिल्ली
बेशर्मों को इतनी छूट न दे रे दिल्ली
सुरेश मिश्र