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खरी-खरी–अशोक वशिष्ठ

by zadmin
vashishth

●खरी-खरी
नियमों पर चलते सदा, हैं शिक्षण संस्थान। 

अनुशासन के साथ सब, दिखते एक समान।।

दिखते एक समान, नियम सब पालन करते।

जाति-धर्म का भेद , नहीं विद्यालय करते ।।

एक वेश-भूषा  रहे , हो नहीं कोई विवाद।

सब जगह पहनिए, बुर्का और खिजाब।। 
●अशोक वशिष्ठ 

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