नवी मुंबई; 12 अगस्त: बिहार में जन्मे और अपने गीतों तथा कविताओं से दो दशकों तक देश की जनता के लिए ‘गीतों के राजकुमार’ बने रहे कविवर गोपाल सिंह ‘नेपाली’ के जन्मदिन के अवसर पर चांगू काना कला,वाणिज्य और विज्ञान महाविद्यालय, नवीन पनवेल के द्वारा जयंती समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर कॉलेज के हिंदी विभाग के तत्वावधान में एक दिवसीय दूरदृश्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी का विषय था ‘गोपाल सिंह नेपाली: व्यक्तित्व एवं कृतित्व’ और संगोष्ठी के मुख्य वक्ता थे पूर्व प्रधानाचार्य और कहानीकार अशोक वशिष्ठ.
अशोक वशिष्ठ ने अपने एक घंटे के संभाषण में साहित्यकार नेपाली के जीवन वृतांत के प्रत्येक पहलू पर बारीकी से प्रकाश डाला। उनके कृतित्व पर बातें करते हुए मुख्य वक्ता ने बताया कि कवि नेपाली छायावादोत्तर काल के प्रमुख कवि थे। प्रकृति, देश प्रेम और भाव भरी उनकी कविताएं और गीत श्रोताओं के दिलों में उतर जाते थे। उनके गीतों को समझने के लिए दिमाग नहीं बल्कि दिल की ज़रूरत पड़ती है। बेतरतीब बचपन, अधूरी शिक्षा और साहित्य समालोचकों की किंचित उपेक्षा के बावजूद उनकी रचनाएं पाठकों और श्रोताओं को उनका चिर प्रशंसक बनाने की कूबत रखती हैं।
बिहार के पश्चिमी चंपारण के बेतिया नगर में 11 अगस्त १९११ को जन्मे गोपाल सिंह नेपाली के बारह से अधिक काव्य संग्रह प्रकाशित हुए। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण पत्रिकाओं का संपादन और प्रकाशन किया। 1944 से लेकर 1962 तक उन्होंने मुंबई में निवास किया। इस बीच फिल्मिस्तान स्टूडियो के गीतकार के रूप में नियुक्ति पाकर उन्होंने 19 वर्षों की अवधि में पचास से अधिक हिंदी फिल्मों के लिए करीब 400 गीत लिखे। अपनी पहली ही फिल्म मजदूर (1945 ) के यादगर गीतों के लिए आपको सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में पुरस्कार दिया गया। चीन से युद्ध छिड़ जाने पर 1962 में फिल्मी दुनिया से मोहभंग हो जाने के बाद ‘नेपाली’ देश भर में देशभक्ति की अपनी कविताओं और गीतों के माध्यम से देश की युवा शक्ति को जागृत करते रहे। 17 अप्रैल 1963 को एक कवि सम्मेलन से रेलगाड़ी द्वारा भागलपुर लौटते समय हृदय गति रुक जाने से उनका देहांत हो गया। ‘नेपाली’ पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में अनेक शोध कार्य किये जा चुके हैं।
हिंदी विभाग के अध्यक्ष डाॅ. उद्धव भंडारे ने इस अवसर पर कहा कि वे अपने शोध विद्यार्थियों को गोपाल सिंह ‘नेपाली’ के कृतित्व पर शोध कार्य करने को प्रेरित करेंगे। बता दें कि श्री भंडारे ने इस वर्ष से नियमित तौर पर देश के कवियों और साहित्यकारों के जयंती समारोह आयोजित करने का बीड़ा उठाया है ताकि आज की युवा पीढ़ी उनके बारे में विस्तार से जान सके और हिंदी को समृद्ध करने के प्रति प्रेरित हो। वेबिनार के रूप में आयोजित हुए इस कार्यक्रम का संचालन काॅलेज की छात्रा अंजू राय ने किया। सौरभ गांगुर्डे ने ‘नेपाली’ के जीवन पर प्रकाश डाला और अश्विनी वाघमारे ने आभार व्यक्त किया।