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कुंडली में छिपा होता है खिलाडी योग

by zadmin

कुंडली में छिपा होता है खिलाडी योग 

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इन दिनों ओलंपिक में खिलाड़ियों की सफलता और उनसे जुड़ी कहानियों की चर्चा दुनिया भर में हो रही है। खेलों की तरफ रुझान और इसमें सफलता की वजह उनकी मेहनत के साथ ही कुंडली में ग्रहों की विशेष स्थितियां और योग भी होते हैं।
लग्न एवं लग्नेश

जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता की पहली शर्त कुंडली में लग्न और लग्नेश का मजबूत स्थिति में होना होती है। इन दोनों से व्यक्ति के बेहतर स्वास्थ्य का पता चलता है। इसीलिए, कुंडली में लग्न एवं लग्नेश का शुभ प्रभाव में होना, शुभ ग्रहों की दृष्टि में होना एवं अन्य प्रकार से बली होना एक अच्छे खिलाड़ी के लिए आवश्यक है। 

तृतीय भाव यानी पराक्रम 

अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए तृतीय भाव खासा अहम हो जाता है, जिसे पराक्रम, साहस आदि का भाव कहा जाता है। एक खिलाड़ी में साहस का होना जरूरी होता है। खेल के मैदान में अपने साहस से ही विरोधी पर जीत हासिल की जा सकती है। इसलिए कुंडली में तृतीय भाव और उसके स्वामी भी कुंडली में बलवान एवं सुदृढ़ स्थिति में होने चाहिए।
पंचम भाव यानी बुद्धि 

पंचम भाव विद्या एवं बुद्धि का स्थान होने के साथ ही भावेत भावम के सिद्धांतसे देखें तो यह तृतीय का तृतीय है, जो जातक में खेल प्रतिभा एवं दक्षता का प्रतिनिधित्व करता है। अतः पंचम भाव पर शुभ प्रभाव, कुंडली में पंचमेश की शुभ एवं बलवान स्थिति, उसका अन्य संबंधित भावों एवं ग्रहों से संबंध आदि व्यक्ति में प्रचुर मात्रा में स्वाभाविक खेल प्रतिभा एवं खेल संबंधी मामलों में दक्षता पैदा करता है।

 छठा भाव यानी प्रतियोगिता 

छठा भाव विरोधियों, प्रतियोगिता और संघर्ष का स्थान है। किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा में विरोधी पक्ष पर हावी होकर संघर्ष में जीतने में इसकी भूमिका अहम हो जाती है। इसीलिए छठे भाव और उसके स्वामी की कुंडली में अच्छी स्थिति एक खिलाड़ी की सफलता में अहम हो जाती है। 

नवम, दशम और एकादश भाव

 कुंडली का नवम भाव भाग्य भाव के रूप में जाना जाता है। इससे ऐश्वर्य की प्राप्ति और हर तरह की सफलता का विचार भी किया जाता है। दशम भाव कर्म और प्रसिद्धि का, जबकि एकादश सभी तरह की उपलब्धियों एवं लाभ का स्थान है। अतः कुंडली में इन भावों एवं भाव स्वामियों का, बलवान हो कर, खेल के कारक भावों एवं भावेशों तथा ग्रहों से संबंध खेल के माध्यम से सफलता, ख्याति, उपलब्धि एवं लाभ दिलाता है।
सर्व प्रमुख कारक मंगल

ग्रह मंगल व्यक्ति को ऊर्जा, ताकत, पराक्रम, वीरता और आक्रामकता देता है। एक खिलाड़ी में इन गुणों का होना परम आवश्यक है। पराक्रम भाव का स्थायी कारक भी मंगल ही है। इन्हीं कारणों से मंगल को खेल का सर्वप्रमुख कारक ग्रह माना गया है। अतः एक अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए कुंडली में मंगल की बलवान स्थिति आवश्यक है। बली मंगल का पंचम, षष्ठ, नवम, दशम या लग्न भाव से संबंध खेल प्रतिभा को उत्कृष्टता प्रदान करता है।

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