●खरी-खरी
जीते को सिर पर बैठाते हमने देखा है।
धन दौलत से उसे अघाते हमने देखा है।।
कुछ दिन तक छाया रहता है वह अख़बारों में।
धीरे-धीरे गुम हो जाते हमने देखा है।।
जो जिसका अधिकार उसे वह तो देना ही होगा।
लेकिन प्रतिभा को घुट जाते हमने देखा है।।
●अशोक वशिष्ठ