●खरी-खरी
जासूसी के नाम पर , संसद में कोहराम।
ठप्प रहे संसद भले , बने न कोई काम।।
बने न कोई काम , ख़ास ये मुद्दे हो गये।
जनता के सारे मुद्दे , गुम कहाँ हो गये।।
सत्ता और विपक्ष , करें मिल कानाफूसी।
जो भी सत्ता में हैं , करवाते जासूसी।।
☆ अशोक वशिष्ठ