नई दिल्ली:कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत को जल्द ही एक बड़ा हथियार मिलने वाला है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को संसद में बताया कि कैडिला की कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल जारी है। यह डीएनए वैक्सीन होगी। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में पहला ऐसा देश बन सकता है जिसके पास इस महामारी से बचाव के लिए डीएनए आधारित टीका होगा।
मंडाविया ने कहा कि कई भारतीय कंपनियां कोरोना से बचाव के अपने टीकों का उत्पादन बढ़ा रही हैं। उन्होंने ‘देश में कोविड-19 महामारी का प्रबंधन, टीकाकरण का कार्यान्वयन और संभावित तीसरी लहर को देखते हुए नीति और चुनौतियां’ विषय पर उच्च सदन में हुई अल्पकालिक चर्चा के जवाब में बताया कि कैडिला हेल्थकेयर लि. के डीएनए आधारित टीके का तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है।जायडस कैडिला की यह कोरोना वैक्सीन दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन होगी। इसके जरिए जेनेटिकली इंजीनियर्ड प्लास्मिड्स को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। इससे शरीर कोविड-19 के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन होता है और इस तरह वायरस से बचाव वाले एंटीबॉडी पैदा होते हैं। ज्यादातर कोरोना वैक्सीन के 2 डोज लगते हैं लेकिन कैडिला की इस वैक्सीन के 3 डोज लगेंगे।इस वैक्सीन के बारे में एक और खास बात है। यह सूई से नहीं लगाई जाएगी। इसे एक खास डिवाइस के जरिए लगाया जाएगा। जायडस कैडिला का दावा है कि इस मेथड से वैक्सीन लगने की वजह से दर्द नहीं होगा। कंपनी का तो यहां तक दावा है कि इससे वैक्सीन के साइड इफेक्ट भी कम हो सकते हैं।